Friday 9 June 2017

कविता. १४६२. एक फूल से पूछा हमारी।

                                                           एक फूल से पूछा हमारी|
एक फूल से पुछा हमारी कहानी क्या है हमने सोचा था उसे कहाँ पता है पर फूल के रंगों मे एक मुस्कानसी बिखरी उसने तो कुछ ना कहाँ पर एक मासूमसी कली ने बिना पुछे ही हमारी दास्तान बोल दी उसे हर मोड पर कुछ कहने कि आदत ही तो थी पर उस पल ने एक राज कि बात है बोली किसी ने चुपके से हमारी दास्तान है लिख छोडी या फिर हमारे लब्जों से ही किसी पल यह गुस्ताखी है कर ली।
एक फूल से पूछा हमारी जीवन का अंदाज क्या होगा उसने तो हमे कोई सलाह नही दी उसने चुपके से बात हम पर छोडी पर एक मासूमसी कली ने हमारी दास्तान पर सलाह दे डाली अपने मासूम अंदाज मे वह सच ही तो बोली उसने अपने तरानों से हमारी दास्तान कह डाली हर बार कई इशारों से कुछ परख कि कहानी को मंजिल से उसने हर मौके पर अलग एहसास कि उम्मीद हमने हर पल है कर ली।
एक फूल से पूछा हमारी बात का एहसास क्या होगा उसने कुछ ना कहाँ पर कली हर बार कि तरह चुपना रही उसे कोई बात इस तरह से जताई कि जिन्दगी जीवन को अंदाज अलग देकर दुनिया हर बार आगे बढती रहती है जो जीवन मे हर किस्से को अलग खयालों कि आवाज हर पल के साथ उजाले देती है पर कली कि मासूमियत हमे हर बार नया अंदाज देती है उसने हँसकर हर बार बात है कर ली।
एक फूल से पूछा हमारी जिन्दगी कि राह क्या होगी उसने उम्मीद कि एक दास्तान बता दी पर कली तो चुप ही रही जब हमने बढ के पुछा कली से तो वह बात हम से कहने लगी राह तो हम ही चुनेंगे वह कैसे कुछ कहे राह के एहसासों से ही जिन्दगी जिन्दा रही पर वह हमारी पसंद है जो हमने चुन ली जिसकी बजह से हमने जीवन कि दास्तान हर पल सही यही कहकर कली ने पहली बार अलग राह पकड ली।
एक फूल से पूछा हमारी सोच कि आस क्या होगी उसने कहाँ जीवन मे जो हमारी प्यास होगी पर कली चुपके से बोली सोच को तो मेहनत कि आस होगी जिसे परख लेने पर भी दुनिया कुछ उदास होगी क्योंकि हम उनकी सोच से चले यह उनकी आस होगी पर अपने सच्चाई पर चलना यह हमारी प्यास होगी हर बार जीवन मे किसी किनारे कि तलाश देगी यह बात कहकर कली ने जीवन कि सच्चाई चुपके से कह ली।
एक फूल से पूछा हमारी राह कि तलाश क्या होगी उसने कहाँ जीवन मे तो हमारी प्यास ही हमारे जीवन कि उम्मीद होगी वही हमारी तलाश होगी पर कली फिर से बीच मे बोली उसने कहाँ जिन्दगी मे कई किनारों को अलग उजाले कि कदमों कि आहट होगी जिसे उजाले कि पहचान हर बार उम्मीदों कि सौगात देगी हर मोड को जीवन मे कई रंगों कि दुनिया देगी पर वह तलाश मुश्किल होगी यह कहकर कली ने अपनी बात रोक ली।
एक फूल से पूछा हमारी दास्तान कि शुरुआत क्या होगी उसने हँसकर कहाँ बडी खास होगी पर कली फिर बीच मे बोल उठी उसने कहाँ शुरुआत तो कब कि हो गयी अब शुरुआत कि बात क्यों है निकली सब जानते है कितने आगे नाँव किनारेसे निकल गयी कली कि बात मन को भायी तो कभी मन को चुभली क्योंकि सच तो यह है कि मन को अलग किनारों से वह बात हर पल को मन को सच्चाई समझ ली|
एक फूल से पूछा हमारी रोशनी कहाँ होगी उसने कहाँ हर पल को हर मौके को उजाला देगी वह जीवन को अलग इरादों को कई मतलब देगी पर तभी कलीने पूछा कौनसी रोशनी जो हमारे मे छुपी है रहती उसके सवाल से मन मे अक्सर एक हलचल मची किनारों को रोशनी है देती क्योंकि कली कि बात अक्सर आईना है रहती जो जीवन मे हर एहसास कि उम्मीद कि सही तलाश तो मन ने कर ली|
एक फूल से पूछा हमारी आशाएँ हर पल को उम्मीदे देगी उसने कहाँ उम्मीदों से भरी हमारी दुनिया होगी वह हर मौके को एक अलग हलचल देगी वह हर मौके को अलग किनारों के साथ एहसासों को रोशनी हर मौके पर देगी पर कली फिर से बोली हर बार कैसे उम्मीदे होगी कभी कभी उलझनों से आगे लेकर आशाएँ देगी जो जीवन मे हर पल कि दिशाओं को उम्मीदों से परखकर आगे बढ ली|
एक फूल से पूछा कब हमारी उम्मीद हर मौके से उजाले देगी उसने कहाँ उजालों से आगे उम्मीद हर पल रहेगी फिर हमने देखा कली को कई बात नही कहनी और मुडके देखा तो कली फूल बन के है महकी हमने फिर उस फूल से पूछा आपको कोई बात नही कहनी उस नये फूल ने कहाँ फिर से क्या वही बात कहनी कभी खुशी तो कभी गमों कि दास्तान ही तो हर पल है कहनी फूल बनकर भी कली ने वही साँस समझ ली| 

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