Sunday 23 April 2017

कविता. १३६८. कहते रहना तो सबकी।

                                            कहते रहना तो सबकी।
कहते रहना तो सबकी आदत होती है क्या सुने क्या ना सुने यह अपनी सोच कि काबिलियत होती है हर कही बात के अफसाने तो बनते ही है किस अफसाने को समझ लेने पर उस कब अनदेखा कर दे यह अपनी समझ होती है।
कहते रहना तो सबकी जरुरत होती है क्या सुने क्या ना सुने यह अपने मन कि जरुरत होती है हर दिशा के संग कई किस्सों को उस मोड पर छोड देने से अपने सपनों को पूरा करने कि फुरसत जीवन मे बन जाती है जिसकी अहमियत होती है।
कहते रहना तो सबकी आस होती है क्या सुने क्या ना सुने यह अपने समझ कि जरुरत होती है हर धारा के संग कई राहों को उस रंगों पर समझ लेने से अपनी कहानियों को पूरा करने कि जरुरत बन जाती है जिसकी पुकार अहम होती है।
कहते रहना तो सबकी आदत होती है क्या सुने क्या ना सुने यह अपने हालात कि जरुरत होती है हर किनारे के संग कई इशारों को उस पल पर अलग इरादे से कोई लब्ज दिखाकर आगे बढती जाती है जिसकी आवाज एहसासों को जरुरी होती है।
कहते रहना तो सबकी पहचान होती है क्या सुने क्या ना सुने यह अपने जीवन कि सौगाद होती है हर खयाल के संग कई किस्सों को उस समय पर अलग इशारे से कोई एहसास देकर आगे बढती जाती है जिसकी वजह खुशियों को पहचान होती है।
कहते रहना तो सबकी आवाज होती है क्या सुने क्या ना सुने यह अपने मन कि जरुरत होती है हर सोच के संग कई पहचान को उस किनारे पर अलग इरादे से कोई समझ कि पूँजी देकर आगे बढती जाती है जिसकी दिशाओं से सुबह कि रोशनी अलग होती है।
कहते रहना तो सबकी आदत होती है क्या सुने क्या ना सुने यह अपने दिल की मर्जी होती है हर किनारे के संग कई किस्सों को उस दिशा पर अलग एहसास से कोई बदलाव कि समझ अलग इशारे बढती जाती है जिनमे सुबह कि अलग उम्मीदे होती है।
कहते रहना तो सबकी जरुरत होती है क्या सुने क्या ना सुने यह अपने समझ कि परख होती है हर दिशा के संग कई हिस्सों को उस किनारे पर अलग पहचान से कोई दास्तान कि समझ अलग असर से बढती है जिनमे अलग इशारों कि जरुरत होती है।
कहते रहना तो सबकी आदत होती है क्या सुने क्या ना सुने यह अपने हालात कि जरुरत होती है हर खयाल के संग किसी कहानी पर अलग किरदारों से कोई पहचान कि सोच देकर आगे बढती है जिनमे अलग इरादों कि जरुरत होती है।
कहते रहना तो सबकी ताकत होती है क्या सुने क्या ना सुने यह अपनी सोच कि ताकत होती है हर इरादे के संग किसी इशारे पर अलग बदलाव से कोई उम्मीद कि पुकार रहती है जो हर पल आगे बढती है जिसमे अलग किनारे कि अहमियत होती है। 

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