Monday 17 April 2017

कविता. १३५७. हर कदम पर किसी के।

                                                 हर कदम पर किसी के।
हर कदम पर किसी के साथ कि आदत तो होती है पर वह इन्सान कि जरुरत नही होती है लहरों को खुद ही अपने अंदाज मे चलने कि आदत होती है वह हर बार अपने किनारों से अपने अंदाज मे टकराती रहती है।
हर कदम पर किसी के होने से मदद तो मिलती है पर वह बात जीवन कि अहमियत नही होती है क्योंकि अपनी राह चुनने कि सबको अक्सर आदत रहती है जो जीवन मे कई रंगों को पहचान देकर टकराती रहती है।
हर कदम पर किसी के एहसासों से आगे जाने कि उम्मीदे मिलती है पर वह इशारे कि सौगाद हर बार नही होती है वह कई आवाजों के साथ अलग पहचान देती रहती है जो जीवन मे कई किस्सों मे अलग पुकार के संग टकराती रहती है।
हर कदम पर किसी के अंदाज से आगे बढने कि पुकार मिलती है पर वह एहसासों कि समझ हर मौके देकर चलती है पर उसकी जरुरत नही होती है क्योंकि जीवन मे वह भी राह रहती है जो कई अंदाजों से उम्मीदों से टकराती रहती है।
हर कदम पर किसी के साथ से आगे चलने कि आशाए मिलती है पर वह सोच कि पहचान हर बार वही नही होती है कई बार मजबूती से चलने से हर राह अपनी आशाए खुदसे बनाती जाती है जिनसे उम्मीदे हर पल टकराती रहती है।
हर कदम पर किसी के साथ से आगे जाने कि जरुरत मिलती है पर वह जरुर खुशियाँ तो देती है पर इतनी जरुरी नही होती है क्योंकि कई बार लोगों मे उसकी बजह से राह बदलकर जाने कि आदत हो जाती है वह गलत राह मुसीबतों से ही बस टकराती रहती है।
हर कदम पर किसी के बात से आगे चलने कि जरुरत मिलती है पर वह रंगों कि अलग सौगाद देती है पर उसकी अहमियत सच्चाई से ज्यादा नही होती है क्योंकि सच्चाई के रंगों कि ताकत हर मुश्किल से अक्सर टकराती रहती है।
हर कदम पर किसी के आवाज से आगे बढने कि उम्मीदे मिलती है पर वह खयालों को अलग एहसास कि पूँजी हर बार देती है जो जीवन मे सही ना हो तो उसकी जरुरत नही होती है जीवन कि लहरे खुदही मंजिल से टकराती रहती है।
हर कदम पर किसी के साथ से आगे चलने कोशिश मिलती है पर वह कोशिश किसी खयाल के सही होने कि उम्मीद से ही अच्छी होती है कई लोगों कि गलत कोशिश से एक इन्सान कि सही कोशिश जाने कितने तूफानों से टकराती रहती है।
हर कदम पर किसी के संग उजाले कि उम्मीदे मिलती है पर वह जब तक अच्छाई ना सिखाये वह काफी नही होती है वह कई किस्सों को अलग राह देती है जो सही नहीं होती है उस से ज्यादा खुदकी अलग राह ही मंजिल से टकराती रहती है। 

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