Sunday 30 April 2017

कविता. १३८२. कोई कहानी जब।

                                                           कोई कहानी जब।
हर लम्हा कोई कहानी जब आवाज अलगसी दिलाती है वह हर मोड को कई इशारों कि कहानी सुनाती है वह हर एहसास को अलग पुकार कि दास्तान बताती है वह हर पल के संग जीवन को जोडकर लम्हा बनाती है।
हर लम्हा कोई कहानी जब पुकार अलगसी दिलाती है वह हर धारा को कई किस्सों कि आवाज सुनाती है वह हर हवाओं को अलग बदलाव कि पहचान बताती है वह हर एहसास के संग जीवन को जोडकर किनारे बनाती है।
हर लम्हा कोई कहानी जब पहचान अलगसी दिलाती है वह हर किनारे को कई अंदाजों कि पुकार सुनाती है वह हर आवाज को अलग सुबह कि धारा बताती है वह हर इशारे के संग समझ को जोडकर उम्मीदे बनाती है।
हर लम्हा कोई कहानी जब रोशनी अलगसी दिलाती है वह हर एहसास को कई दिशाओं कि पहचान सुनाती है वह हर हवाओं को अलग पुकार कि आवाज बताती है वह हर एहसास के संग समझ को जोडकर किनारे बनाती है।
हर लम्हा​ कोई कहानी​ जब पहचान अलगसी दिलाती है वह हर राह को कई एहसासों कि दास्तान सुनाती है वह हर मोड को अलग बदलाव कि जरुरत बताती है वह हर मोड के संग परख को जोडकर राह बनाती है।
हर लम्हा कोई कहानी जब एहसास अलगसी दिलाती है वह हर दिशा को कई किनारों कि समझ सुनाती है वह हर किनारे को अलग पुकार कि पहचान बताती है वह हर दिशाओं के संग समझ को जोडकर पल बनाती है।
हर लम्हा कोई कहानी जब उम्मीद अलगसी दिलाती है वह हर मोड को कई अंदाजों कि पुकार सुनाती है वह हर हवाओं को अलग बदलाव कि सोच बताती है वह हर एहसास के संग आवाज को जोडकर सोच कि धारा बनाती है।
हर लम्हा कोई कहानी जब प्यास अलगसी दिलाती है वह हर मौके को कई किस्सों कि पहचान सुनाती है वह हर पुकारों को अलग आवाज कि रोशनी बताती है वह हर मोड के संग मन को जोडकर दिशाएं बनाती है।
हर लम्हा कोई कहानी जब किनारे को समझ अलगसी दिलाती है वह हर किनारे को कई लब्जों कि पुकार सुनाती है वह हर सोच को अलग सुबह कि तलाश बताती है वह हर मौके के संग मन को जोडकर राह बनाती है।
हर लम्हा कोई कहानी जब उम्मीद को सोच अलगसी दिलाती है वह हर एहसास को कई दिशाओं कि धाराएं सुनाती है वह हर किस्से को अलग आवाज कि कहानी बताती है वह हर मोड के संग मन को जोडकर उम्मीदे बनाती है।

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