Sunday 26 February 2017

कविता. १२५७. बारीश कि ठंडक हर एहसास को मकसद।

                          बारीश कि ठंडक हर एहसास को मकसद।
बारीश कि ठंडक हर एहसास को मकसद अलग तरह का देकर जाती है वह हर पल के साथ जो दुनिया को अलग मकसद देकर आगे बढती रहती है जो जीवन मे कई रंगों कि दुनिया दिखाकर अक्सर जाती है।
बारीश कि ठंडक हर एहसास को मकसद अलग तरह का देकर जाती है वह हर मौके के साथ किरणों के अंदर पानी के भीतर अलग पहचान दिखाती है जो जीवन मे कई पानी के बूँद के संग सतरंगी पहचान अक्सर दिखाकर जाती है।
बारीश कि ठंडक हर एहसास को मकसद अलग तरह का देकर जाती है वह हर सोच के बाद अलग पुकार देती है जो जीवन मे कई रंगों कि आवाज को पहचान अलगसी देकर जाती है जो जीवन मे कई रंगों को अक्सर एहसास दिखाकर जाती है।
बारीश कि ठंडक हर एहसास को मकसद अलग तरह का देकर जाती है वह हर लम्हे के बाद अलग पुकार देती है जो जीवन मे कुछ नये एहसास बताती है हर बार पानी कि बूँद के अंदर कई रंगों कि सौगात दिखाकर जाती है।
बारीश कि ठंडक हर एहसास को मकसद अलग तरह का देकर जाती है वह हर मौके के साथ ही कोई अलग पुकार दिलाती है हर बूँद के साथ नई शुरुआत होती है जो जीवन मे कई एहसासों से उम्मीदे दिखाकर जाती है।
बारीश कि ठंडक हर एहसास को मकसद अलग तरह का देकर जाती है वह हर राह पर उजाला अलग समझ का जताती है वह हर लम्हा हर मौसम के संग रंग कई दिखाती है जिन्हे समझकर दुनिया अलग रोशनी दिखाकर जाती है।
बारीश कि ठंडक हर एहसास को मकसद अलग तरह का देकर जाती है वह हर लम्हा किसी किस्से के संग दिशाए अलग दिलाती है वह जीवन मे कई एहसासों को अलग पहचान दिखाती है वह हर मौके पर जीवन को अलग रंग दिखाकर जाती है।
बारीश कि ठंडक हर एहसास को मकसद अलग तरह का देकर जाती है वह हर पल किसी पहचान के संग एहसास अलगसा लाती है वह जीवन को हर मौके पर अक्सर हर पल के साथ रोशन करती जाती है वह जीवन मे अलग रंग दिखाकर जाती है।
बारीश कि ठंडक हर एहसास को मकसद अलग तरह का देकर जाती है वह हर मौके पर किसी पुकार को दुनिया मे जिन्दा करती जाती है वह हर एहसास को समझ लेने कि जरुरत जीवन को हर मौके पर दिखाकर जाती है।
बारीश कि ठंडक हर एहसास को मकसद अलग तरह का देकर जाती है वह हर मौके पर किसी किनारे को अलग सुबह दिलाती है वह हर बार हर एहसास को समझकर दुनिया को अलग मौकों से आगे चलने का एहसास दिखाकर जाती है। 

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