Sunday 11 December 2016

कविता. ११०२. पानी कि धारा पत्थरसे।

                                      पानी कि धारा पत्थरसे।
पानी कि धारा पत्थरसे कुछ इस तरह टकराती है गिरने कि आवाज तो आती है पर चोट उसे नही लगती है क्योंकि पानी को बदलते जाने कि आदत तो हर पल नजर आती है जो जीवन मे पानी को बदलाव कई किसम के दे जाती है।
पानी कि धारा पत्थरसे कुछ ऐसे टकराती है कि उस पत्थर कि तेज धारा भी उसे काँट नही पाती है वह हर बदलाव के साथ हर पल बदलती जाती है क्योंकि उसे हर पल सही तरह से बदलते जाने कि ताकद होती है जो जीवन मे उम्मीदे दे जाती है।
पानी कि धारा पत्थरसे कुछ अलग तरह कि उम्मीदे देकर जंग करती जाती है वह पानी को बदलाव देकर हर बार आगे चलती जाती है वह पानी के एहसासों को बदलाव दे जाती है उन्हे बार बार बदलकर जीवन को समझ दे जाती है।
पानी कि धारा पत्थरसे कुछ ऐसे टकराती है अलग सोच देकर हर बार आगे चलती जाती है जो जीवन को कई राहों मे बदलाव देकर जाती है जो जीवन को बदलाव दे जाती है क्योंकि पानी मे बदलाव कि समझ अलग होती है जो जंग कि अलग समझ दे जाती है।
पानी कि धारा पत्थरसे कुछ ऐसे टकराती है खुदको बचाने मे माहीर नजर आती है जो जीवन मे कई अलग तरीकों से जीने कि उम्मीदे देती है क्योंकि पानी को कई तरह के रुपों मे बदलकर खुदको परखकर आगे जाने कि समझ दे जाती है।
पानी कि धारा पत्थरसे कुछ अलग तरह से टकराती है अलग तरह के पानी के बदलाव जीवन को कई तरह के फर्क दे जाते है जिन्हे समझ लेने कि जरुरत जीवन को हर बार उजाले कि ओर लेकर जाती है जो जीवन मे नयी उम्मीदे दे जाती है।
पानी कि धारा पत्थरसे कुछ अलग दिशाओं मे लेकर जाती है वह हर पल बदलाव का जीवन पर अलग असर दिखाकर जाती है जो जीवन को कई किस्सों मे हर पल अलग बदलाव देकर आगे बढती जाती है जो जीवन को अलग उजाले दे जाती है।
पानी कि धारा पत्थरसे कुछ अलग तरह कि जंग दिखाती है वह अपने बदलाव से उसे तोडकर जाती है पत्थर कि ना बदलने कि आदत उसे जीत मे मदद दे जाती है जो जीवन मे कई रंगों मे आगे चलते जाने कि समझ दे जाती है।
पानी कि धारा पत्थरसे कुछ अलग तरह से जीत जाती है क्योंकि वह बदलाव के सहारे हर बार आगे बढती जाती है क्योंकि बदलाव के सहारे ही तो उसकी कहानी हर बार आगे बढती है जो जीवन को अलग एहसास मे आशाए दे जाती है।
पानी कि धारा पत्थरसे कुछ अलग तरह कि दिशाए दिखाती है जो जीवन को उम्मीदों कि किरण दे जाती है क्योंकि धारा ही तो जीवन कि सच्ची ताकद बनती जाती है जो जीवन को कई किस्सों कि समझ दे जाती है क्योंकि धारा ही तो पत्थर को चोट दे जाती है।

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