Friday 21 October 2016

कविता. १०००. दूर किसी किनारे पर।

                                                      दूर किसी किनारे पर।
दूर किसी किनारे पर एक हकिकत अक्सर रहती है जो जीवन को अलग कहानी देकर आगे बढती जाती है क्योंकि दूर किसी किनारे पर ही तो जीवन कि कहानी जिन्दा रहती है दूर किनारे पर ही तो अपनी खुशियाँ बसती है।
दूर किसी किनारे पर एक आवाज को पहचान लेने कि जरुरत हर बार रहती है दूर किसी मोड पर हकिकत कि आवाज हर बार अक्सर जस्बात  देकर रहती है जो जीवन को किसी कोने मे अलग कहानी देकर जीवन मे बसती है।
दूर किसी किनारे पर होकर भी सच्चाई मे वह पुकार होती है जो जीवन को हर मोड पर अलग जस्बात देकर चलती है जो जीवन को कई किस्सों मे अलग समझ देकर आगे बढती है जो दूर किसी किनारे पर अक्सर बसती है।
दूर किसी किनारे पर जीवन कि कहानी बनती है जो जीवन को कई एहसासों को समझ अलगसी देकर चलती है जो दूर किसी किनारे पर जीवन को कई किस्सों कि समझ हर मौके पर रहती है जो जीवन को मतलब देकर आगे बसती है।
दूर किसी किनारे पर जीवन कि आवाज जब सच कि पुकार बनती है तब उसे समझ लेने से दुनिया अलग तरह का एहसास देकर चलती है जो दूर से भी जीवन कि सौगाद बदलकर जाती है जो दूर के किनारों पर अक्सर बसती है।
दूर किसी किनारे पर जीवन कि कहानी हर बार मतलब दे कर आगे बढती है जो जीवन को अलग तरह के किनारे पर एक अलग हकिकत रखती हुई जाती है जो जीवन को दूर के किनारों पर अलग हकिकत देकर दुनिया अलग ढंग से बसती है।
दूर किसी किनारे पर जीवन को अलग रोशनी मिलती है जो जीवन को कई किस्सों मे समझ अलग तरह कि देकर चलती है जो दूर किसी किनारे पर आवाज का अलग एहसास देकर चलती है जिसमे सच्चाई कि ताकद अक्सर बसती है।
दूर किसी किनारे पर जीवन को अलग हकिकत मिलती है जो जीवन को कई किस्सों मे पहचान अलगसी देकर चलती है जो दूर किसी कोने मे अक्सर रहती है उस किनारे पर जीवन कि खुशियाँ किसी कोने मे बसती है।
दूर किसी किनारे पर जीवन को अलग पहचान होती है जो जीवन को समझ देकर जाये वह अलग मुस्कान होती है जो जीवन को कई किनारों मे मतलब अलग देकर रहती है उस किनारे पर ही आवाज अलगसी हर बार बसती है।
दूर किसी किनारे पर जीवन कि सच्चाई जब होती है तब उसके अंदर अलग पुकार रहती है जो बार बार जीवन को कहती है कि सच्चाई कितनी भी दूर रहे उसकी जिन्दगी पर कोई ना कोई निशानी तो हर बार रहती है जिसकी हकिकत को समझकर दुनिया बसती है।

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