Thursday 8 September 2016

कविता. ९१४. उस मौके मे हमने।

                                         उस मौके मे हमने।
उस मौके मे हमने कुछ अलग ही सीखा था उस मौके मे कई किस्सों लेखाजोखा था उस मौके से ही तो आगे जाता है मौके मे ही जीवन को कई किस्सों मे समझ लेने कि जरुरत होती है हर मौका हर पल लेकर आगे चलता जाता है।
उस मौके मे हमने अक्सर जीवन को समझ लिया है जीवन हर पल मे अपनी कहानी मे कई किस्सों को जिन्दा रखता चला जाता है जो जीवन को हर मौके मे अलग तरह कि सुबह का एहसास देकर आगे बढता चला जाता है।
उस मौके मे हमने कई कहानियाँ समझ तो लियी है पर अक्सर उन्हे दोहराना जीवन के लिए अहम नजर आता है मौकों मे छुपी बात से ज्यादा जीवन को समझ लेने कि जरुरत किसी और बात मे कभी कभी नही हो पाती है उस से सुबह आगे बढता जाता है।
उस मौके मे हमने जीवन के अंदर किसी एहसासों कि आवाज दे जाते है पर कई बार मन मे एक सवाल होता है मौका जीवन मे कई चीजे दे जाता है हमे जीवन मे मौकों को समज लेना जरुरी होता है क्योंकि मौका ताकद दे जाता है।
उस मौके मे हमे जीवन कि कहानी को समझ लेना जरुरी होता है मौके को समझ लेना जीवन मे अहम रहता है कुछ मौकों मे दुनिया समा जाती है तो कुछ मौकों मे सिर्फ जीवन का खालीपन जिन्दा रह जाता है।
उस मौके मे ही तो जीवन का मकसद रहता है जिसे समझ लेना ही तो जीवन मे अहम लगता है क्योंकि मौका ही तो जीवन को हर पल जिन्दा रखता है मौके मे ही तो जीवन कि बातों का एहसास अक्सर अलगसा रह जाता है।
उस मौके मे ही जीवन कि कहानी को समझ लेना ही तो जीवन मे नया मतलब देकर आगे चलता है मौकों मे हमने कई चीजों को समझ लेना ही तो जीवन को अलग किसम का एहसास देकर दुनिया को आगे ले जाता है।
उस मौके मे ही तो जीवन को समझ लेना जरुरी होता है क्योंकि मौका तरह तरह कि सोच देकर जाता है तो कोई मौका जीवन को अलग किसम का मतलब या मकसद दे जाता है जो जीवन कि कहानी मे हर दम कई किसम के बदलाव दे जाता है।
उस मौके मे ही तो जीवन कि कहानी का समझ लेना कभी नही होता है कभी कभी वह मौका बेमतलब का बन जाता है जिसमे हम सब लम्हे ढूँढते रहते है वह मौका बिना जरुरत का नजर आता है वह मौका जीवन मे कई एहसास दे जाता है।
उस मौके मे ही तो आगे चलते जाना जरुरी रहता है जो उस मौके के अंदर अलग एहसास देकर जाता है उसमे दुनिया का एहसास जिन्दा रहता है जीवन मे मौका हर बार ताकद देकर आगे बढता है हर मौका जीवन मे अलग एहसास दे जाता है।

No comments:

Post a Comment

कविता. ५१५०. अफसानों की समझ अक्सर।

                           अफसानों की समझ अक्सर। अफसानों की समझ अक्सर आवाज दिलाती है तरानों को कदमों की आहट परख दिलाती है दास्तानों को एहसास...