Monday 19 September 2016

कविता. ९३६. रातों के अंदर रोशनी।

                                                     रातों के अंदर कि रोशनी।
रात के अंदर कई किनारों को समझकर दुनिया आगे चलती है जो रातों को समझकर आगे चलती है वह दुनिया अंधियारे मे ही कई कोनों मे जिन्दा रहती है जो जीवन कि कहानी बदलती रहती है जो रातों मे चीजों के हिलने को हर बार समझ देती रहती है।
रात के अंदर कई किनारों को समझकर आसमान मे अलग एहसास को समझकर आगे बढते जाने कि जरुरत रहती है क्योंकि रातों के अंदर चंदा और चांदनी कि खुबसूरती अक्सर रहती है जो हर मोड पर रातों मे खुबसूरती जिन्दा करती है हर बार जिन्दा रहती है।
रात के अंदर कई किनारों को समझकर कई तरह कि खुबसूरती जिन्दा रहती है जो रातों मे हर तरह कि खुबसूरती देकर रहती है रात के अंदर सुंदर एहसासों कि तसबीर अक्सर होती है जो जीवन मे कई तरह कि रोशनी देकर हर पल आगे बढती रहती है।
रात के अंदर कई किनारों को समझकर अलगसी चांदनी होती है जो जीवन को खुबसूरत एहसासों कि जरुरत हर बार देकर चलती है जीवन मे अलग तरह कि सोच रात के अंधियारे मे खुबसूरती कि लहर भी छुपी अक्सर होती है।
रात के अंदर कई किनारों को समझकर अलग तरह कि रोशनी हर बार मतलब देकर जाती है जो रातों को अलग एहसास देकर आगे बढती जाती है जो रातों को बदलाव देकर चलती जाती है जो रातों को खुबसूरत हर बार बनाकर जीवन कि कहानी समझ देकर रहती है।
रात के अंदर कई किनारों को समझकर अलग सोच मिलती रहती है जो जीवन को समझ अलग तरह कि देकर चलती जाती है जो रातों को परखकर हर बार अलग देकर जीवन कि कहानी समझ अलग लेकर हर बार अलग तरह कि प्यास रहती है।
रात के अंदर कई किनारों को समझकर अलग तरह कि समझ हर बार अलग पुकार देकर चलती जाती है जो रातों मे अलग एहसास देकर हर मोड पर आगे बढती जाती है जिसे रातों को अलग तरह कि चमक ढूँढते रहने कि आदत होती है उसके अंदर खुशियाँ रहती है।
रात के अंदर कई किनारों को समझकर अलग तरह की रोशनी पाकर आगे चलते जाने कि जरुरत होती है जिन्हे जीवन मे समझकर आगे बढते जाने से जीवन कि खुशियाँ रहती है जिन्हे समझकर चांदनी को परखकर जीवन को समझ लेने कि जरुरत रहती है।
रात के अंदर कई किनारों को समझ देकर जाती है वह रोशनी ही तो होती है जो रातों को रोशनी का एहसास देकर दुआ देकर आगे जाती है वह रातों को परखकर अंदर रखती हुई जाती है वह रोशनी रात ही देती जाती है जो जीवन को रोशनी देकर हर बार रहती है।
रात के अंदर कई किनारों को समझकर आगे चलते जाने कि रोशनी होती है जो जीवन मे अँधेरे से लढने जाने कि आदत हर बार होती है जो रातों मे ही तो उम्मीदे देकर आगे बढती जाती है क्योंकि रातों को ही अँधेरे को भुलाकर आगे बढते रहने कि जरुरत रहती है।

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