Sunday 7 August 2016

कविता. ८५१. हरीयाली को समझ लेना।

                                         हरीयाली को समझ लेना।
हरीयाली को समझकर ही तो कुदरत कि प्यास समझ आती है जो हमे नई उम्मीदे देकर अलग कहानी दे जाती है नजरों को अहमियत दे देती है।
हरीयाली मे ही तो जीवन कि प्यास दिखती है जिसे नये तरीके से समझ लेने कि जरुरत हर बार होती है हरीयाली मन को छूँकर आगे बढती जाती है।
हरीयाली मे कई तरह कि खुशबू नजर आती है कभी मन को लुभाने वाली बात दिखती है तो कभी मन को तसल्ली मिल जाती है जब जीवन कि दिशाए बदलती नजर आती है।
हरीयाली मे कई रंगों के संग जीवन कि खुशियाँ होती है जो हमे अलग एहसास देकर चलती जाती है जीवन मे सुंदरता को कई रुपों मे दिखाकर आगे बढती जाती है।
हरीयाली मे जीवन को कई पौधों कि खुशबू नजर आती है जो जीवन के एहसास को अलग सुबह देकर चलती जाती है जो हमे बदलाव देकर आगे बढती जाती है।
हरीयाली मे जीवन को समझकर आगे चलते जाने कि जरुरत का एहसास अलगसा होता है जो हमे आगे लेकर चलता जाता है जीवन को रोशनी देकर जाता है।
हरीयाली मे समझकर आगे चलते जाने कि जरुरत हर बार होती है जो हमे जीवन मे कई तरह के एहसासों कि सौगाद देती है जो जीवन को कई किसम के मतलब दे जाती है।
हरीयाली मे जीवन कि जरुरत हर पल होती है क्योंकि पौधों के अंदर कि जाने ही तो हरीयाली को अक्सर खास बना देती है उसकी अलग दुनिया देती है।
हरीयाली को लेने कि चाहत जीवन को नई रफ्तार देकर चलती है जिसे समझ लेने कि और जिसे परख लेने कि जरुरत हर बार हर खुशबू मे होती है जो एहसास देकर चलती है।
हरीयाली को जीवन कि कहानी को समझाना आसानी से आता है क्योंकि हरीयाली ही तो हर बार अपना किस्सा बदलती रहती है जीवन कि दिशाए बदलती रहती है।

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