Monday 8 August 2016

कविता. ८५२. हँसी को समझ लेना।

                                           हँसी को समझ लेना।
हँसी को समझ लेना जीवन कि ताकद हर घडी होती है जो हमे जीवन मे हँसी कि अहमियत हर बार बता देती है जो जीवन कि कहानी बदलती रहती है।
हँसी को समझ लेना ही तो हर मौके कि जरुरत होती है जो हमे हँसने कि अहमियत हर बार बता देती है जो हमारे जीवन को अलग तरह कि हँसी सदा देकर आगे चलती है।
हँसी को समझ लेना उसके अंदर कि कई दिशाए बदलती है जो हमे किसी सोच कि आशाए दे जाती है हमे हर बारी आगे लेकर जाती है दुनिया को ताकद देकर जाती है।
हँसी को समझ लेना अहम होता है क्योंकि हँसी ही तो हमारी खुशियाँ लाती है उसे दोहराने कि जरुरत हर मोड पर सीधी सीधी नजर आती रहती है।
हँसी को समझ लेना जरुरी होता है क्योंकि तभी तो उस को दोहराना मुमकिन हो पाता है क्योंकि जब बजह दोहरा पाये तो ही जीवन कि सुबह हर बार हो पाती है।
हँसी को समझ लेना ही तो हमारे जीवन कि अहम बात होती है जो हमे हर बार हर मोड पर नई उम्मीदे और नई रफ्तार देकर आगे चलती जाती है।
हँसी को समझ लेना ही तो सुबह कि पहली सौगाद होती है जो जीवन को कई किनारों मे समझकर ही तो दुनियाको अलग असर देकर आगे चलती जाती है।
हँसी को समझ लेना ही तो जीवन कि नई शुरुआत होती है जो उम्मीदे देकर आगे बढती जाती है जो जीवन को नई तरह कि खुशियों कि आवाज देती है एहसास देती है।
हँसी को समझ लेना ही तो सुबह कि सही किसम कि सोच देती है एहसास देकर आगे चलती है जो हमे नई उम्मीदे देकर आगे चलती जाती है।
हँसी को समझ लेना ही तो कभी कभी उसे दोहराने कि बजह बन जाती है जो जीवन को सही तरह कि रोशनी और सही खयाल देकर आगे बढती चली जाती है।

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