Friday 12 August 2016

कविता. ८६१. बहारों को समझ लेना।

                                     बहारों को समझ लेना।
बहारों को समझ लेने कि जरुरत जीवन मे हर बार होती है जिनमे दुनिया अलग तरह का एहसास देकर हर पल आगे बढती रहती है जीवन को बदलती है।
बहारों को समझ लेने कि जरुरत जीवन को हर पल होती है जो दुनिया को हर मौके मे आगे लेकर चलती है जो जीवन को अलग किसम का एहसास दे जाती है।
बहारों को समझ लेने कि अहमियत हर दिशा मे होती है जो जीवन कि कहानी को अलग अंदाज मे कहती है जिसे समझ लेने कि जरुरत हर बार रहती है।
बहारों को समझ लेने पर ही तो जीवन को कई सहारे मिलते है उन्हे समझ लेने कि प्यास जीवन को अलग तरह का मकसद और मतलब हर पल हर मोड मे देती रहती है।
बहारों को समझ लेने पर ही तो दुनिया कि कहानी जीवन को अलग किसम का एहसास देकर आगे बढती है जिसमे जीवन कि तलाश हर बार होती रहती है।
बहारों को समझ लेने पर ही तो दुनिया कि कहानी एक अलग तरह कि तलाश बनती है वह हमे अलग किसम के किस्सों मे आगे लेकर चलती है मन मे एक प्यास रहती है।
बहारों को समझ लेने कि चाहत एक गलत प्यास भी बनती है जब हमे लगता है कि बहारे बस हमारे खातिर एक एहसास बनती है जिनमे दुनिया रहती है।
बहारों को समझ लेने कि चाहत भी अगर सबके लिए हो तो ही वह प्यास बनती है जीवन कि हर बार और हर मौके पर चलते जाने कि आस या उम्मीद बनती है।
बहारों को समझ लेने कि जरुरत जीवन मे एक आँस होती है जो जीवन कि कहानी को बदलाव देकर हर बार चलती है जो जीवन के लिए एक प्यास बनती है।
बहारों को समझ लेने कि एक चाहतसी जीवन मे हर बार होती है जो हमारी दुनिया को बदलकर रख देती है जिसे परख लेने कि जरुरत जीवन मे हर पल हर बार होती है।

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