Sunday 7 August 2016

कविता. ८५०. कभी कभी दर्द को समझ लेना।

                                  कभी कभी दर्द को समझ लेना।
कभी कभी दर्द को समझ लेना भी जीवन कि सच्चाई होती है कभी कभी दर्द मे भी जीवन कि कहानी होती है जो जीवन को नये अंदाज मे बताती है।
कभी कभी दर्द मे भी कोई सच्चाई छुपी होती है जो हमे गमों से उभरकर आगे चलते जाने कि उम्मीदे देकर जाती है क्योंकि उसमे अच्छाई होती है।
कभी कभी दर्द के शिशे मे दुनिया अलग ही दिखती है वह जीवन को कई किस्सों मे समझाने कि कोशिश करती रहती है वह जीवन कि कहानी को अलग अंदाज मे सुनाती है।
कभी कभी दर्द को परखकर जीवन को आगे बढते जाने कि जरुरत होती है जो जीवन को साँसे देकर हर बार हर राह पर चलती जाती है दुनिया बदलती जाती है।
कभी कभी दर्द को समझ लेना ही नई रफ्तार देकर चलती है जिसे समझ लेने कि जरुरत जीवन मे कई तरह कि नई सुबह लेकर आ जाती है रफ्तार मिलती रहती है।
कभी कभी दर्द को समझ लेना ही तो जीवन मे कई खयालों कि ताकद देता है जिसे समझ लेना ही तो जीवन कि नई सुबह और अलग किसम कि जरुरत होती है।
कभी कभी दर्द को समझ लेना ही तो जीवन कि नई निशानी बनती है जो जीवन के अंदर कि कहानी बदलाव देकर आगे बढती रहती है जो जीवन को उम्मीदे देकर चलती है।
कभी कभी दर्द को समझ लेना ही तो दुनिया कि हकिकत होती है जो जीवन को वह राज बताती है जिस से कई बार हमारी रुह भी कतराती रहती है हमे सताती है।
कभी कभी दर्द को परखकर आगे चलते जाना ही तो जीवन कि जरुरत होती है उस जरुरत के अंदर ही तो हमारी दुनिया जिन्दा रहती है हमारी कहानी बनती रहती है।
कभी कभी दर्द को अलग अंदाज मे समझ ले तो दुनिया बेगानी लगती है पर उसी दर्द को सही तरह से समझ लेने पर अक्सर जीवन कि कहानी बडी खुबसूरती सी बयान होती है।

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