Tuesday 2 August 2016

कविता. ८४०. नजरों के झरोके से।

                                              नजरों के झरोके से।
नजरों के झरोके से कई कहानियाँ बनती है जिन्हे पहचान लेने कि जीवन को हर मौके पर जरुरत पडती है जिसकी अहमियत होती है।
नजरों के अंदर कोई अलग कहानी बनती है जो हमे अक्सर जीवन मे सुनाई जाती है नजरों के सहारे से जीवन को अलग किसम कि सुबह दिखती है।
नजरों के सहारे से जीवन कि कहानी बनती है जिसे समझकर जीवन कि कोई अलग सुबह बनती है जो जीवन कि कहानी बदलती रहती है।
नजरों के झरोके से जीवन को कई किसम कि जीवन मे कहानियाँ बनती है जिनमे जीवन कि कहानी हर बार सुहानी लगती है जो उम्मीदे देकर चलती है।
नजरों के सहारे जीवन कि कहानी अलग बनती है जिसके अंदर जीवन कि अलग अलग धाराए बनती है जो जीवन कि कहानी आगे बढाती रहती है।
नजरों के सहारे हमे दुनिया हर बार समझ आती है जिसे समझकर आगे चलते जाने कि हर पल जरुरत होती है नजरों मे हर बार ताकद रहती है।
नजरों के झरोके से दुनिया के कई दस्तूर बनते है उनके अंदर नजरों के भीतर जीवन कि उम्मीदे बनती है जो अलग अलग एहसास देकर आगे बढती है।
नजरों के अंदर हमे दुनिया अलग एहसास देकर आगे चलती है दुनिया को नजरों के अंदर अलग सोच छुपी रहती है जो दुनिया को हर मौके पर अलग ताकद देकर आगे बढती है।
नजरों के झरोके से जीवन कि कहानी बदलती रहती है जो हमे कई खयालों से आगे लेकर चलती जाती है क्योंकि नजरे अक्सर सच कहकर आगे बढती जाती है।
नजरों के सहारे से ही तो दुनिया हमारी बनती है बाकी सब गलत लगने लगता है जब नजरे सच कहती है हमारी किस्मत बदलकर हर पल आगे बढती है।

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