Thursday 11 August 2016

कविता. ८५८. हरीयाली को समझ लेना।

                                           हरीयाली को समझ लेना।
हरीयाली को अलग किसम का एहसास होता है जो हरीयाली कि बातों को आगे लेकर चलता है हरीयाली को समझ लेने कि जरुरत हर पल होती है।
हरीयाली को अलग तरह कि राहों कि पेहचान होती है जो जीवन को समझकर सुंदरता दे जाती है जो हरीयाली मे आगे बढते जाने कि जरुरत हर पल होती है।
हरीयाली से अलग किसम कि सोच को समझकर ही तो दुनिया आगे बढती चली जाती है जो जीवन को हरीयाली का एहसास दे जाती है दुनिया बना देती है।
हरीयाली के साथ कभी कभी पतझड को समझ लेने कि जरुरत भी होती है पर जाने क्यूँ जीवन मे लोगों को अक्सर हरीयाली कि आवाज ही समझ आती है।
हरीयाली मे ही दुनिया नही बसती है कभी कभी बिना हरीयाली के जीवन कि शुरुआत होती है जो जीवन को कई बार बडी दिलचस्प लगती है जो आगे ले चलती है।
हरीयाली मे ही तो जीवन कि बात अलग होती है जिसे समझकर आगे चलते जाने कि जरुरत जीवन को हर बार होती है जो जीवन कि कहानी बदलाव देकर आगे चलती है।
हरीयाली को अलग तरह कि रोशनी मिल जाती है जो जीवन मे हर बार अहम दिखने लगती है पर फिर भी बिना हरीयाली को समझे कहाँ जीवन कि कहानी बनती है।
हरीयाली तो जीवन कि अलग सौगाद होती है जो हमे खुशियाँ दे जाती है पर पतझड हमे तूफान से लढने कि उम्मीदे और रफ्तार देकर हर बार आगे बढती है।
हरीयाली तो जीवन को अलग किनारा दे जाती है तो पतझड हमे उम्मीदों से लढने रहने का अलग विश्वास देती है जीवन मे खुशियों का अलग मकसद और एहसास देती है।
हरीयाली से ज्यादा पतझड मे जिन्दा रहने कि जरुरत हर पल होती है जो हमारे जीवन मे मुश्किल बात होती है पर कुछ लोगों को पतझड मे हरीयाली खोजने कि आदत होती है ऐसे लोगों के साथ से दुनिया सुंदर बनती है।

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