Wednesday 10 August 2016

कविता. ८५६. रंगों मे नही होती है।

                                             रंगों मे नही होती है।
रंगों मे रास्तों को समझाना आसान नही होता है हर बार रंग एक ही असर जीवन पर कर नही जाता है जो हमे आगे लेकर चलता हुआ जाता है।
रंगों मे बदलाव के असर इतने होते है कि रंग कहाँ मायने रखते है मायने तो हमारी सोच जीवन मे रखती है फिदरत ही तो जिन्दगी के रंग हर बार तय करती है।
रंगों मे जीवन कि कहानी नही होती है कहानी तो सोच के अंदर ही हर पल बसती है जो जीवन को अलग तरह का एहसास देकर आगे बढती चली जाती है।
रंगों के अंदर कई खयालों का एहसास छुपा होता है जिनमे हमे जीवन कि जरुरत का अलग मकसद और एहसास दिखता है जो हमे आगे लेकर चलता है ।
रंगों मे कई कहानियाँ बनती है पर वह रंगों से नही हरकतों से बनती है जो हमे आगे लेकर चलती है जो जीवन को कोई अलग एहसास देकर चलती रहती है।
रंगों के अंदर कोई बात नही छुपी होती है बात तो किरदार के सोच पर ही निर्भर होती है जो जीवन को समझकर हर बार उम्मीदों कि ताकद या फिर गमों कि माला देती है।
रंगों मे कई किसम कि ताकद होती है पर वह दुनिया को सही गलत नही बना पाती है जीवन कि हरकते उसे अक्सर बदलकर आगे बढती जाती है नई रफ्तार दे जाती है।
रंगों के अंदर कि कहानी तो सिर्फ हमारी हरकतों से बनती है जो हमे आगे लेकर चलती जाती है जो हमे नई पुकार देकर आगे चलती जाती है।
रंगों के अंदर कि दिशाए समझकर ही तो दुनिया आगे बढती है क्योंकि वही तो हमारी जरुरत होती है पर अक्सर रंगों मे जीवन का मतलब और मकसद नही होता है।
रंगों को देखकर जीवन को समझ लेना मुमकिन नही होता है क्योंकि जीवन मे कई किसम के मतलब होते है जिनका जीवन पर कोई असर नही होता है।

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