Monday 11 July 2016

कविता ७९७. हर बूँद कि ताकद।

                                                हर बूँद कि ताकद।
हर बूँद को समझकर आगे बढते रहने कि जरुरत होती है जो जीवन कि अलग सोच रहती है जो जीवन मे उम्मीदे देकर चलती रहती है।
हर बूँद को परखकर जीवन मे नई किस्मत कि कहानी बदल देती है जो जीवन कि कहानी बदलती रहती है जो आगे लेकर चलती है।
हर बूँद को समझ लेने कि अहमियत जीवन को नई रफ्तार देकर चलती रहती है जो दुनिया को समझकर आगे चलने कि ताकद होती है।
हर पानी की बूँद जो हमारी जरुरत होती है वही जीवन कि सच्ची अहमियत होती है जो जीवन को आगे लेके बढती जाती है उम्मीदे देकर चलती है।
हर बूँद को समझकर आगे बढते रहने कि जीवन कि कहानी बनती है जीवन को  परखकर आगे चलते रहने कि जरुरत होती है जो आगे बढती है।
हर बूँद जो पानी कि ताकद रखती है उसके एहसास कि जीवन को जरुरत लगती है जो हमे आगे लेकर चलती है उम्मीदे दे जाती है नई सुबह देती है।
हर बूँद को समझ लेना ही जीवन कि जरुरत बनती है जब पानी कि कमी जीवन को तरसा लेती है जो हमारे जीवन कि सच्ची ताकद होती है।
हर बूँद कम हम चाहे जितना भी कह दे पर दुनिया तो हर पल बदलती है जो जीवन कि धारा को परखकर हर कदम पर उम्मीदों कि ओर निकल जाती है।
हर बूँद के अंदर जीवन कि ताकद रहती है जो हमे साँसे देकर हर पल आगे चलती रहती है जो जीवन को नई किसम कि समझ देती है उम्मीदे देकर चलती है।
हर बूँद को परखकर आगे चलते रहने कि जरुरत होती है क्योंकि बूँद ही तो पानी का एहसास देकर हर पल बदलती रहती है जो उम्मीदे देकर चलती है।

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