Monday 25 July 2016

कविता. ८२४. किसी कहानी को समझकर|

                                                             किसी कहानी को समझकर।
किसी कहानी को मकसद मिल जाता है जिसमे जीवन को मतलब दे तो हर बार जरुरी होता है किसी कहानी को नई सुबह मिल पाती है जिसमे रोशनी हर बार कोई अलग एहसास दे जाती है।
किसी कहानी  के किरदारों से बढकर कोई कहानी नही होती है पर जीवन कि कहानी उस तरह से बन जाती है जो जीवन को आगे बढने कि ताकद दे पाती है उम्मीदे दे जाती है।
किसी कहानी को समझकर आगे बढने कि जरूरत जीवन मे होती है जिसे परखकर दुनिया जाती है पर हम कितना भी चाहे किसी किरदार के लिए कहानी नही रूकती है।
किसी कहानी मे कई किरदारों को समझ लेने कि अहमियत होती है पर हम कितना भी चाहे जीवन मे दुनिया मे आगे बढने कि जरूरत किरदारों से ज्यादा होती है।
किसी कहानी को बढते हुए जाने कि सिर्फ जरूरत नही होती है वह हवाओ कि तरह ही जीवन कि आदत होती है जो जीवन को मतलब देकर आगे बढने कि जरूरत हर पल होती है।
किसी कहानी को समझ को परख लेने कि जरूरत हर बार होती है किसी पल को  समझकर जीवन में आगे चलते रहने कि अहमियत हर बार जीवन को आगे ले चलती है।
किसी कहानी को समझ लेना ही तो जीवन को आगे बढते जाने कि दिशाए देकर चलती है जीवन मे आगे चलते जाने कि जरूरत होती है जो जीवन को उम्मीदे सच्ची सोच से देती है।
किसी कहानी को समझ लेते है तो उसे आगे लेकर जाने कि जरूरत हर पल मे होती है क्योंकि उन्हे समझकर ही तो हमारी दुनिया बनती है आगे बढती है।
किसी कहानी को समझकर आगे चलते जाने कि जरूरत हर साँस मे होती है हम कितना भी चाहे जीवन कि राह मे किसी भी किरदार के खातिर रुकने कि इजाजत कहानी नही देती है।
किसी कहानी को रुकने कि इजाजत किसी के खातिर दुनिया मे नही होती है जो हमे हर मौके पर आगे लेकर जाने कि सोच दुनिया मे हर पल और हर बार अक्सर रखती रहती है। 

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