Thursday 14 July 2016

कविता. ८०२. हर सुबह का एहसास।

                                                हर सुबह का एहसास।
हर सुबह हो या कोई रात जीवन मे कोई अलग एहसास दे जाती है जो दुनिया को हर पल कोई अलग दिशा दिखाती रहती है।
हर सुबह के अंदर अलग एहसास को समझ लेने कि जीवन को जरुरत हर बार होती है जो जीवन को अलग समझ देकर आगे बढती जाती है।
हर सुबह को समझ लेना जीवन कि एक अलग चाहत देकर आगे बढती जाती है जो जीवन को सच्ची साद हर पल देकर आगे बढती जाती है।
हर सुबह मे जीवन का कुछ अलग फैसला छुपा रहता है जिसमे जीवन को परख लेने की कुछ अलग करने कि चाह छुपी हर पल रहती है।
हर सुबह मे नई शुरुआत हर मौके पर जीवन मे कुछ अलग नई रफ्तार मिल जाती है जिसमे जीवन कि कुछ अलगसी चाहते मिलती है
हर सुबह कोई अलग उम्मीद मिलती है जिसमे जीवन कि नई उम्मीदे आती है उनमे ही तो जीवन के खुशियों कि पहली चाल छुपी होती है।
हर सुबह मे जीवन का एहसास कुछ अलगसी दिशाए देकर आगे बढता जाता है जो जीवन को कोई अलग किसम का एहसास देकर आगे चलते जाता है।
हर सुबह को समझकर आगे बढते जाना हर पल जरुरी नजर आता है जो जीवन मे एक अलग एहसास देकर जाता है जो जीवन को हर बार बदलकर जाता है।
हर सुबह मे उसे अलग किनारा हर पल नजर आता है जो जीवन को नई उम्मीदे और रफ्तार लेकर हर पल और हर बार आता रहता है कई उम्मीदे बनाता है।
हर सुबह मे ही तो जीवन कि अलग कहानी बन जाती है जो जीवन कि अलग कहानी लिखकर जाती है वह दुनिया को अलग एहसास देकर जाता रहता है।

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