Friday 1 July 2016

कविता. ७७६. मन से आगे बढता जीवन।

                                          मन से आगे बढता जीवन।
जीवन को समझकर आगे चलते रहने कि दिशाए अक्सर हमे मिल पाती है जो जीवन कि धारा को समझ लेना हर मोड पर जाती है।
जहान मे हमे अलग पहचान को समझ लेने कि जरुरत हर बार हर पल होती रहती है जो जीवन को अलग तरीके से उजागर करती रहती है।
हम कितना भी समझ लेते है जीवन को दुनिया हर बार हमे अलग मोड से समझ लेती है हमे दुनिया को परख लेने कि जरुरत कई बार नही लगती है।
जो मन को चोट दे जाये उस दुनिया से ज्यादा मन कि कोई मासूम पुकार लगती है जो जीवन को खुशियाँ हर पल देकर दुनिया को नये अंदाज मे समझ लेती है।
जब हम समझ लेते है किसी चीज को उसमे जीवन कि दिशाए बदलती रहती है जो हमे आगे ले जाये उस उम्मीद के किनारे से आगे बढती रहती है।
जब हम जीवन को समझ लेना चाहते है तो उस जीवन कि दिशाए बदलती है तो क्यूँ समझे उस जीवन को जिस से उम्मीदे बनती रहती है।
जब मन को परख लेते है तो मन कि दिशाए कहती है जीवन मे एक अलग किसम कि साँसे समझ लेने कि जरुरत होती है जो उम्मीदे देकर चलती है।
जब हम आगे बढना चाहते है जीवन मे दिशाए बदलती है पर मन कि दिशाए हर पल वही उसी मोड पर रुकी हुई हर बार हर दिशा मे दिखती है।
जीवन को समझ लेने पर ही तो अपनी कहानी बनती है जीवन मे हर बार हमे दुनिया उलझन से भरी कई मौकों पर दिखती है।
पर मन से चल दे और विश्वास से जीवन लेते है तो जीवन कि कहानी बदलकर चलती है जीवन को कोई अलग ही रोशनी देकर दिशाए आगे बढती है।

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