Thursday 9 June 2016

कविता ७३२. किसीको चोट देना

                                          किसीको चोट देना
हर गीत का कोई अलग मतलब होता है जिसे समझ लेना हर बार जरुरी होता है पर हर लब्ज को समझले इतनी फुरसत किसको होती है
हम यह तो समझ लेते है जिसमे दुनिया कि किस्मत होती है वह सोच हमारी जरुरत होती है पर अगर वक्त नही है तो जीवन मे लोग काश चोट देनेवाली बात नही करते
पर जिन्दगी कहाँ सीधी राह चल पाती है जीवन कि कहानी कोई अलग असर देकर आगे बढती चली जाती है जीवन कि ताकद बन जाती है
हर गीत कि एक अलग ताकद और पहुँच होती है जो हमारे जीवन को अलग समझ देकर आगे बढती चली जाती है हमे आगे लेकर जाती है
किसी गीत मे अलग तरह कि दुनिया जिन्दा हो जाती है जो जीवन को अलग समझकर आगे चलती जाती है जीवन का एहसास बदल जाती है
पर अगर एहसास को समझ लेने कि फुरसत ना हो तो चोट देने कि जरुरत भी नही होती है जो जीवन को बदलकर आगे बढती चली जाती है
क्योंकि अनदेखा करके इन्सान चला जाये तो जीवन मे बात समझ आती है पर कोई कोसे तो वह बात जीवन मे अनदेखी नही होती है
ध्यान ना दो तो बात समझ आ जाती है पर अगर कोई जख्म दे जाये तो वह बात जीवन मे बरदाश नही होती है जो जीवन पर हर बार असर कर जाती है
जीवन मे हर बात समझ लेने कि जरुरत नही होती है पर गलत बात ना करे यह बात ही जीवन मे काफी हो जाती है उम्मीदे दे जाती है
जिन्दगी मे खुशियाँ हर बार अलग एहसास देकर आगे बढती है पर वह हासिल ना कर पाओ तो दूसरे को उसके लिए चोट देने कि जरुरत नही होती है

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