Tuesday 14 June 2016

कविता ७४३. सही मोड पे रुकना

                                               सही मोड पे रुकना
दिल चोट तो खाता है जब कोई रंग बदलता है पर लगता है यह तो कुदरत का कानून है हर पत्ता रंग बदलता है पर क्या वही इन्सान पत्ते कि तरह राह से भी दूर होता है
यह नही होता है क्योंकि इन्सान अपने मर्जी से जो चाहे बनता है अफ़सोस तो मन को होता है जब जीवन रंग बदलता है जो जीवन कि दिशाए बदलता है
दिल के अंदर इन्सान अपना एहसास हर पल बदलता रहता है एक तरह से जीवन का किस्सा हर बार बदलता रहता है जो जीवन का रंग बदलता है
इन्सान तो हर बार हर सोच को समझता रहता है जो जीवन को बदलाव देता रहता है जो दिशाए बदलता रहता है दिल कि ताकद को समझ लेता है
दिल के अंदर कई एहसासों को इन्सान समझता रहता है जीवन कि हर सोच से लढकर वह आगे उम्मीदों के संग हर पल बढता रहता है जीवन को ताकद देता है
तरह तरह के खयालों को हमे जीवन में समझ लेना होता है जीवन कि हर बारी इन्सान अपने हिसाब से अपना रंग बदलता रहता है जीवन को समझता रहता है
पर जीवन मे हर पल उन्हे दोहराने से उसे समझकर आगे बढते रहने कि जरुरत जीवन मे हर बार मन मे होती ही है जो दिशाए बदल देती है
बातों को समझ लेने कि आदत हर पल हमे अक्सर होती है पर कभी गलत बाते भुला देना ही तो मन कि सच्ची ताकद होती है
इन्सान को पहले दूसरे को इन्सान समझ लेने कि जरुरत होती है वह हमारी हर मोड पर अलग आदत हर पल रहती ही है
चोट तो मन को दुनिया हर पल बदल देती रहती है पर हमे बदलाव कि नही जीवन मे सही मोड पर रुकने कि जरुरत होती ही है

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