Tuesday 7 June 2016

कविता ७२९. किसी तसबीर का मतलब

                                              किसी तसबीर का मतलब
किसी तसबीर को देखकर जीवन कि ख्वाईश जिन्दा होती है तो किसी तसबीर को देखकर नजर शर्म से झुक जाती है
तसबीर को समझ लेने कि जरुरत हर पल को होती है पर हर किसीके लिए वह तसबीर वही मतलब नही दे पाती है
जीवन मे तसबीर अलग एहसास देकर जाती है जिसे हर पल समझ लेने कि जरुरत हर बार जीवन मे होती रहती है
तसबीरों मे दुनिया हर बार अलग होती है जिसे परख लेने कि जरुरत जीवन मे तो दिखती ही है जिसमे दुनिया हर पल खास दिखती है
तसबीर को समझकर हम कुछ तो परख लेते है पर कभी कभी दूसरों कि परख कुछ और ही कह जाती है हमारी सोच कुछ अलग नजर आती है
तसबीर मे समझकर दुनिया कोई अलग असर कर देती है पर जो हम पर असर कर देती है जो जीवन को समझ देती है
तसबीर मे दुनिया को समझ जो दिखती है वही जीवन पर अलग तरह का असर हर बार करके आगे बढती जाती है
तसबीर को समझकर दुनिया हर बार असर कर जाती है पर हर बार वह उसी तरह से नही होता जिस तरह से हमारी सोच चाहती है
तसबीर  कई किसम के रंग जीवन मे देकर जाती है जिसे समझकर दुनिया आगे बढती रहती है जो जीवन को आगे लेकर जाती है
पर हर बार हर सोच एक जैसी नही होती है वह तसबीर से आगे बढती जाती है जिसमे जीवन कि सोच हर पल उम्मीदे नही देती है
पर हर पल जीवन कि गाडी समझाने से सही पटरी पर नही आती है कभी कभी उसे गलत राह पर चलने कि जरुरत होती है

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