Tuesday 28 June 2016

कविता. ७७१. बात कि चुभन।

                                                     बात कि चुभन।
किसी बात कि चुभन जब मन को चोट देकर जाती है उनसे कोई अलग ही समझ हर पल नजर आती है दिशाए बदल जाती है।
हर बात को खुशियाँ जो जीवन मे नई सोच देकर आगे बढती रहती है जिन्हे समझ लेने कि जरुरत हर पल जीवन मे होती रहती है।
हमे जीवन कि चुभन को समझ लेना हर पल जरुरत नजर आती है जो जीवन को हर बात मे रोशनी कि कहानी नजर आती है।
जिसे हम समझ लेते है उन बातों मे अलग किसम कि चमक नजर आती है जो जीवन कि धारा को परखकर आगे कर जाती है।
हमे जीवन कि हर बात समझ लेनी जरुरी होती है जो जीवन को हर पल नई उम्मीदे देकर चलती है पर वह बात तो चुभती है जो मन को चोट देती रहती है।
बात को परखकर आगे जाने कि हर पल जरुरत होती है वह बात जो जीवन कि दिशाए उजागर कर के अक्सर जीवन मे आगे बढती है।
हमे जीवन को समझ लेने कि जरुरत तो होती है पर जाने क्यूँ जीवन कि नई दिशाए किसी चुभती बात से मन मे अलग एहसास देती रहती है।
जीवन को बात जो नई उम्मीदे देकर आगे बढती है उन्हे समझकर आगे चलते रहने कि जरुरत जीवन मे रोशनी देकर आगे बढती है।
चुभन का एहसास कई दिशाओं मे दिखता है उसे समझ लेने कि जरुरत हर मौके पर हमे होती रहती है जो जीवन को बदल देती है।
वह बात जिस पे दुनिया लहरों कि तरह झुमती है उस बात को समझ लेने से जीवन मे तसल्ली कि जगह चुभन मिलती है।
क्योंकि कई बार दुनिया बात समझ नही पाती है और हम जब उसे समझाते है तो दुनिया उस बात से संभल नही पाती है।

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