Friday 3 June 2016

कविता ७२०. बात को समझ लेना

                                                बात को समझ लेना
किसी बात को समझ लेना जीवन मे मुश्किल बात होती है तो कोई बात आसानी से समझ आ जाती है जो जीवन को परख जाती है
बात को समझकर आगे बढने कि हर पल को जरुरत होती है अहमियत होती है जो जीवन को बदलकर आगे बढती जाती है
हर बात को परखकर हर पल दुनिया आगे बढ जाती है खुशियाँ देकर उम्मीदे देकर हर मोड पर आगे बढती जाती है ताकद देकर जाती है
बात के अंदर कई मतलब छुपे होते है क्योंकि बात ही तो जीवन कि ताकद बढा देती है जो जीवन को उम्मीदे देकर आगे बढती चली जाती है
पर जब उम्मीदों से भरी बात हो तो वह कहाँ समझ आ पाती है जो जीवन को कई बार अलग उम्मीदे देकर आगे चलती जाती है
कई बार बातों कि जो सोच बनती है जो जीवन को बदलकर रखती है जो जीवन कि एक किरण बनकर चमककर आगे बढती चली जाती है
हर बात कि कोई अलग कहानी हर मोड पर बनती और बिघडती नजर आती है पर कई बार उसकी बात ही समझ नही आ पाती है
बात को परखकर आगे चलने कि जीवन को हर पल जरुरत होती है जो जीवन को आगे लेकर चलती चली जाती है
बाते जीवन को कई मतलब दे जाती है मकसद उनके पास ही तो हमारी दुनिया पा सकती है पर कभी कभी दुनिया उन्हे समझ नही पाती है
जीवन को साँसे तो दुनिया देकर ही जाती है पर उस बात को समझ लेने कि जरुरत होती है जिन्हे परखकर आगे चलने कि हर पल जरुरत होती है 

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