Sunday 5 June 2016

कविता ७२५. कही हुई बात

                                          कही हुई बात
कभी हम बारीश कि बूँदों को कहते रहते है कभी आसमान के बादल को भी मन कि बात कह देते है बूँदों को मकसद हर सोच दे जाती है
पर मन कि हर बात बूँदों तक ही कहाँ रुक जाती है धीमे धीमे बात वही जो जीवन को बदलकर जाती है उसे कह देने कि जरुरत मन को नजर आती है
कोई बात जो हमारी किस्मत हमे कह जाती है वह कहाँ हमारे अपनों से छुप पाती है वह छुपके से मुँह से कुछ ऐसे निकल जाती है कि उसमे हमारी दुनिया बदल जाती है
कोई बात जो हमारे दिल को छू जाती है वह हमारी दुनिया मे हर मोड पर कुछ सोच अलग होती है पर वह मन मे कहाँ रुक पाती है आगे बढती चली जाती है
जीवन के हर पल मे दुनिया बदल जाती है हर सोच को हर कोने मे दुआए अलग मिल जाती है जिसमे दुनिया एहसास अलग देती है जो जीवन को बदल जाती है
पर जीवन को परख लेने के पहले ही बात अपनों से परख लियी जाती है जो जीवन को नई उम्मीदे और एहसास देकर आगे बढती जाती है
जीवन को समझकर हमारी कहानी अलग नजर आती है हर कोने मे मन से छुपाना चाहते है पर वह बात मुँह से निकल जाती है कई उम्मीद मतलब दे जाती है
जीवन कि बाते जब मन मे आ जाती है तब वह सोच बदलकर आगे बढती जाती है जो जीवन को समझ अलग दे जाती है
जो चुपके छुपी बात भी होती है वह भी तो हर पल छुपाई नही जाती है वह भी तो चुपके से मुँह से निकल आती है जीवन कि दिशाए बदल जाती है
सोच जो जीवन कि सौगाद होती है वही तो जीवन मे बहार लेकर आती है पर कभी कभी कोई बात अहम हो जाती है जो जीवन कि सौगाद बन जाती है 

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