Wednesday 8 June 2016

कविता ७३१. किस्मत कि किरण

                                              किस्मत कि किरण
किसी किनारे पर हमने एक सहारा देखा है जो किस्मत का लेखा है उसे दूरसे हर पल समझ लिया और परख लिया हो उसमे नसीब छुपा होता है
हर बारी हर हल को समझकर हमने किस्मत को समझा है पर किस्मत कहाँ आसानी से समझ आती है उसमे ही जीवन लिखा होता है
किस्मत के अंदर समझकर आगे बढना जरुरी होता है किस्मत के हर मौके को समझ लेना हर बार अहम और जरुरी होता है
किस्मत को समझकर आगे बढते जाना हर बार जरुरी होता है पर किस्मत कि धारा को समझ लेना कई अहमसा लगता है
किस्मत कि राहों पर हर पल अलग एहसास तो होता है जिसे परखकर आगे बढना जीवन को अलग सुबह देकर जाता है
किस्मत कि बाते समझ लेने कि जरुरत हर पल होती है किस्मत हर बार हर पल मे अलग सोच कि ताकद देकर आगे बढती है
किस्मत को समझ लेने कि जीवन कि हर किरण को जरुरत होती है जो जीवन कि कहानी हर पल कहकर हर बार चलती है
किस्मत के अंदर जीवन कि बाते हर बार एकसी नही लगती है वह हर पल हमारी दुनिया को बदलकर आगे चलती है
किस्मत तो हर पल जीवन को बदल देती है किस्मत हर बार जीवन का एहसास बदलती रहती है वह जीवन कि राह बदलकर चलती है
जीवन के अंदर किस्मत कि किरण हर बार हमारे जीवन को मौका देकर आगे चलती है किस्मत को ताकद हमारी उम्मीद ही देती है

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