Thursday 5 May 2016

कविता ६६३. मन को समझाना

                                                मन को समझाना
हम जीवन को अलग तरह से समझ लेना चाहते है मन को समझते हर बार जीवन को समझ लेना आसान नही होता है क्योंकि जीवन मे अलग संगीत होता है
जब मन जीवन को खुशी से समझ लेना चाहता है वह सबसे खुशी का मौका होता है जो जीवन को उम्मीदे देकर आगे बढता जाता है एहसास देकर आगे जाता है
क्योंकि मन तो चंचल चीज होता है जो हर बार मोड बदलता रहता है एक मोड पर रुकना उसका काम नही होता है वह तो इधर उधर जाता है
मन एक हवा के झोके कि तरह होता है जो जीवन कि दिशाए बदलकर जाता रहता है पर एक कोने मे कहाँ रुक पाता है वह जीवन कि दिशाए बदल लेता है
मन एक जगह रुक जाये वही जीवन का अहम मौका होता है क्योंकि वह जीवन कि दिशाए बदलकर आगे चलते ही जाता है
मन कि तो यह आदत होती है एक जगह उसकी दुनिया छुपी होती है पर फिर भी उसे किसी पल मे रुकने कि आदत नही होती है
जीवन को तो अपनी दिशाए बदलकर चलना ही होता है क्योंकि मन को एक पल मे रुकने कि आदत नही होती है बदलते रहना ही उसकी आदत होती है
मन को दिशाए बदलकर चलने कि चाहत होती है मन कहाँ एक पल रुक पाता है मन को तो जीवन कि खुशियाँ हर पल हर मोड मे हासिल करने कि चाहत होती है
पर कभी कभी वह रुक जाये तो ही दुनिया मे जन्नत हासिल होती है क्योंकि रुकने से ही तो जीवन कि मेहफिल बनती है जिस से हमे नई सुबह मिलती है
हर पल जीवन को समझ लेने से ही जिन्दगी बनती है हमारी खुशियाँ बस हमारे मन कि ताकद से हासिल होती है पर घुमने कि जगह रुकने कि जरुरत भी मन को अक्सर होती है
तो मन को समझा लेने कि जरुरत हर बार हमारी जीवन कि अहम जरुरत होती है जो हमे खुशियों कि हर बार हर राह मे मेहफिल देकर चलती है

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