Wednesday 11 May 2016

कविता ६७४. गीतों कि दुनिया को समझ लेना

                                         गीतों कि दुनिया को समझ लेना
गीतों कि दुनिया अक्सर खुशियाँ दे जाती है जिसे समझकर हम आगे चले जाते है पर उन पंक्तींओ कहाँ वह रुक पाती है वह आगे बढती जाती है
गीतों को समझकर कहाँ हमारी हस्ती आगे बढ पाती है हर गीत के अंदर कुछ अलग पल छुपे रहते है जिन्हे समझकर ही तो दुनिया आगे बढती चली जाती है
पर गीत सुनते है कई पर गीतों कि मतलब कहाँ समझ पाते है सिर्फ सुनने से जीवन को आवाज नही मिलती पर उन्हे समझ लेने कि जरुरत अहम होती है
लोगों मे इतनी समझ बडी मुश्किल से आती है वह तो सिर्फ गीत सुनकर गर्दन को हिला देते है उनके मतलब हर बार समझे बिना ही आगे बढ जाते है
गीत के अंदर जीवन को समजझ लेना ही अहम बात होती है जो हमे बहोत अहम ताकद दे जाती है नई उम्मीदे देकर आगे ले जाती है
गीत मे ही तो दुनिया कि नई सुबह छुपी होती है जो हमे मतलब देती है एहसास देकर जाती है जिनके अंदर जीवन कि शुरुआत छुपी होती है
गीत को परखकर ही तो दुनिया कि सौगाद मिलती है जो हमारे जीवन कि दिशाए बदलकर आगे बढती चली जाती है एहसास बदल जाती है
पर जो दिमाग से ना समझे क्या मतलब है उनके सुनने का जीवन मे क्यो सुने उस संगीत को जिसमे कई मतलब छुपे होते है जो जीवन पर असर कर जाते है
गीत के अंदर ही तो कई धूनों कि आवाज छुपी है जो जीवन को मतलब हर बार देकर जाती है दिशाए बदलकर आगे चलती जाती है
गीत को समझ लेना तो ही दुनिया कि काश आदत हो पाती है पर वह बात नही बन पाती है वह हर बार मन को चोट देती चली जाती है
गीत को बिना समझे हमारी किस्मत कहाँ बन पाती है क्योंकि गीत मे ही हमारी दुनिया हर बार छुपी नजर आती है पर उसे सुनने कि फुरसत किसे होती है

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