Tuesday 24 May 2016

कविता ७०१. मौसम का बदलाव

                                             मौसम का बदलाव
बारीश के इंतजार मे जिन्दगी नही गुजर पाती है जो कुछ भी है जीवन मे उसमे ही तो दुनिया आगे चलती जाती है दुनिया के दिन और राते आगे बढती जाती है
जब मौसम बदलते जाते है दुनिया हर साँस के संग एहसास के संग बदलती रहती है जीवन को समझ लेने कि जरुरत हर पल होती ही है जो दिशाए बदलती है
पर हमारी दुनिया एक मौसम मे कहाँ अटक पाती है जो जीवन कि कहानी बदलकर ही तो आगे बढती चली जाती है जीवन पर असर कर जाती है
हम चाहते तो कुछ बाते है पर दुनिया कहाँ उन्हे परख पाती है पर मौसम से तो यह उम्मीद है कि वह हमे समझ ले तभी तो दुनिया मतलब दे जाती है
मौसम के बदलाव के संग दुनिया हर बार बदलती जाती है जिसे समझकर जीवन को अलग तरह के मतलब कि कहानी अहम नजर आती है
पर जब मौसम मे बदलाव ना हो तो दुनिया कहाँ बदलती है जो हमारे पास होती है वही सोच दुनिया मे हर बार अहम नजर आती है जो जीवन पर असर कर जाती है
मौसम के बदलाव मे ही तो दुनिया बदलकर खुशियाँ दे जाती है पर कभी कभी वह बात मुमकिन नही है जो हम पर असर कर जाती है
मौसम मे कई तरह के रंग तो होते है जिनमे जीवन कि भाषाए बदल जाती है जीवन कि दिशाए कुछ अलग नजर आती है
जब जब हवाओं के इशारे बदल जाते है तब तब दुनिया अलग एहसास देकर आगे जाती है जो हर मोड पर हमे जीवन कि कहानी कुछ अलग बताती है
मौसम के हर फर्क मे दुनिया अपने रंग बदलती जाती है जिस एहसास को हम समझ लेते है उस एहसास मे जीवन कि खुशियाँ अहम नजर आती है
पर कभी कभी सही मौसम नही आते है पर उस से दुनिया हमे कम नही नजर आती है क्योंकि जीवन कि अहमियत तो वही होती है

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