Friday 6 May 2016

कविता ६६५. कोई आवाज

                                                   कोई आवाज
किसी मोड पर कोई आवाज हम समझकर चलते है जिसे परखकर ही तो हम जीवन को जीना चाहते है अगर वह आवाज सही हो तो उस से कतराने कि क्या जरुरत होती है
हर आवाज को समझकर आगे बढने कि जरुरत हर दम होती है जिस आवाज मे दुनिया कि खुशियाँ रहती है जो जीवन को नई तकदीर देकर आगे जाती है
हमे हर मोड को समझकर आगे चलते जाते है जिस सोच को समझकर आगे जाने कि जरुरत हर बार होती है जो रोशनी देकर आगे बढती है
कोई सही आवाज को सुन कर हम सही काम करे तो हमे उसे सुनकर आगे चलने कि हर मौके पर जरुरत होती है जो जीवन को सच्चा मतलब देकर चलती है
किसी आवाज को परख जीवन को समझकर आगे बढना ही सही बात होती है क्योंकि आवाज ही तो हमारी ताकद होती है वही तो सही दिशा देकर आगे जाती है
आवाज सही हो तो आदत बनाने मे गलत बात नही होती है आवाज ही तो जीवन कि सच्ची ताकद होती है जो हमे आगे लेकर चलती है
आवाज कि ताकद सही है तो हार भी खुबसूरत होती है क्योंकि सही दिशा ही जीवन कि उम्मीद होती है जो हमे आगे लेकर चलती है
आवाज ही तो दुनिया कि ताकद बनकर आगे बढती है जिसे परखकर आगे चलने कि हर बार जरुरत होती है जो रोशनी देकर आगे बढती है
आवाज के लिए जिन्दगी गुजार लेने मे क्या मुश्किल हो सकती है जिसे परख लेने कि जरुरत है वह उस आवाज को पेहचान लेने कि जरुरत हर दिशा मे होती है
हर सही आवाज को समझ लेने कि ताकद हर दम होती है जो हमे रोशनी हर बार हर लहेर मे हर मोड पर होती है जो हमारे जीवन कि सच्ची बात होती है

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