Tuesday 17 May 2016

कविता ६८६. दुनिया से अलग सोच

                                            दुनिया से अलग सोच
किसी सोच को समझकर ही तो दुनिया हमे नई शुरुआत दे जाती है वही रोशनी कि पुकार हर बार नही होती है कभी वह अंधियारे भी दे जाती है
किसी सोच कि ताकद ही तो जीवन कि प्यारी लगती है सोच के अंदर जीवन के हर पल का अलग एहसास छुपा होता है जो रोशनी देकर जाता है
तरह तरह के खयालों से ही तो जीवन का मतलब जुड जाता है जो हमे रोशनी देकर आगे निकल जाता है अंधियारा भी हमारा साथी बन जाता है
खयाल ही तो अपने साथी होते है जो जीवन को हर पल रोशनी और ताकद देकर बढते है उनमे उम्मीदे देकर जाती राहे हर बार नही मिलती है
हर खयाल के किनारे तो होते है पर उन्हे परख लेने कि जरुरत हर पल होती ही है पर जो खयाल दुनिया दे जाये उसमे हर बार ताकद होती है
दुनिया को समझ लेने कि जरुरत हर पल होती ही है जिसे परख लेने कि चाहत मन मे हर बार हर पल जिन्दा रहती है
सोच के कई किनारों को समझकर जीवन कि नई कहानी बनती है जिसे परखकर ही तो दुनिया कि राह मिलती है
पर हर बार हर पल हम दुनिया कि सोच अपना ले यह बात जीवन मे सही नही दिखती है वह जीवन कि कहानी हर बार बदल लेती है
सोच को समझकर जीवन कि कहानी बदलकर आगे जाने कि जरुरत हर पल होती है हमे जीवन को समझ लेने कि जरुरत होती है
दुनिया को कई रंगों को समझके आगे जाने कि अहमियत हर बार हर पल अक्सर होती है जिसके अंदर यादों कि ताकद हर पल होती है
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