Sunday 1 May 2016

कविता ६५३. किसी खयाल को समझ लेना

                                            किसी खयाल को समझ लेना
किसी खयाल को जिसे समझकर और परखकर जीवन कि अलग शुरुआत होती है जो हमारी दुनिया बदलकर हर मोड पर अलग एहसास देकर चलती है
जिसे समझकर आगे चलते रहने कि जरुरत होती है हर पल के अंदर ही कई खयालों से ही हर बार हमारी किस्मत बदलती है जो जीवन को दिशाए बदलकर दिखाती है
खुशियाँ ही तो खयालों कि पूँजी होती है पर फिर भी हम अपने खयाल को समझ कहाँ पाते है उन्हे समझकर ही हमारी दुनिया बनती है पर उन्हे समझ लेने कि ताकद हम मे नही होती है
जीवन कि धारा तो कई राहों से गुजरती है पर अपने खयालों से ही तो हमारी खुशियाँ बनती है हमारे जीवन को रोशनी दे जाती है
खयाल को समझ लेने पर ही तो जीवन को नई शुरुआत देने कि जरुरत हर बार होती ही है क्योंकि खयाल के अंदर ही दुनिया बसती है
किसी खयाल को समझ लेने मे कई दिनों कि मेहनत होती है जिन्हे जीवन कि दिशाए बनाकर  आगे चलने कि ताकद देती है वही हमे उम्मीदे देकर बढती है
खयाल को कई तरह से पढो तो उसमे दुनिया बनती है हमे हर पल हर मोड पर हमारी खुशियाँ मिल पाती है उन खुशियों को समझ लेने कि जरुरत हर पल होती है
खयाल तो कई हमारे जीवन कि धारा को बदल देते है पर हर खयाल को समझ लिये बिना हमारी दुनिया नही समझ आती है दिशाए नही दिख पाती है
खयाल को समझे बिना हमारी खुशियाँ नही बनती है पर उसे समझ लेने मे ही हमारी खुशियाँ निकल जाती है यही तो मुश्किल फैसला होता है
जो हमे दिशाए देता है हमारी मंजिल बनकर आगे बढता है उसी खयाल को समझ लेने वक्त लगता है तो वह खुशियों से दूर लेकर जाता है
इसीलिए उस खयाल को वक्त रहते ही समझ लेना हर बार अहम और जरुरी होता है जो जीवन को सच्ची रोशनी देकर जाता है 

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