Monday 25 April 2016

कविता ६४२. तनहाई का एहसास

                                            तनहाई का एहसास
तनहा कोई एहसास नही होता है बस कोई कह पाता है और कोई बाकी सब तो कहता है पर सिर्फ अहम बात नही कह पाता है
आदत हर इन्सान कि अलग होती है कोई पत्थर का नही होता है कोई समझ लेता है कोई समझ लेने मे सालो लगा जाता है
तनहाई से जीत लेना ही जीवन कि जरुरत होती है समझ लेना कि दूसरे का साथ भी किसी कोने मे छुपा है बस वह कह नही पाता है
जीवन को समझ लेना ही तो हर मोड कि जरुरत हर पल होती है जो हमे आगे लेकर हर बार जाती है साँसे उन उम्मीदों से ही तो होती है
तनहा कोई सफर नही होता है हमे बस अपने साथी को मेहसूस करने कि आदत नही होती है क्योंकि हर बार साथ तो होता ही है
अगर हम तनहा समझ ले खुदको तो उस एहसास को मेहसूस करना बडा जरुरी होता है क्योंकि वह एहसास ही तो जीवन कि रोशनी बनकर आगे बढ जाता है
अकेलापन तो मन कि बस सोच होती है जिसे बदल लेने कि जरुरत हर पल होती है जिसे समझकर ही तो दुनिया हर बार आगे बढती है
कभी तनहाई सही सोच नही होती है वह अलग एहसास देकर जाती है जिसे मन से दूर रखने कि हर पल जरुरत हर बार होती है
जीवन मे साथ तो हर पल होता है पर मन उसे कभी कभी समझ नही पाता है उसे पर परखना ही जीवन मे हर बार रोशनी देकर जाता है
कभी कभी साथ ही तो तनहाई की बजह बन जाता है क्योंकि साथ ही होकर भी मेहसूस नही हो पाता है तब साथ को समझ लेने कि जरुरत हर पल होती ही है

No comments:

Post a Comment

कविता. ५१५२. अरमानों को दिशाओं की।

                            अरमानों को दिशाओं की। अरमानों को दिशाओं की लहर सपना दिलाती है उजालों को बदलावों की उमंग तलाश सुनाती है अल्फाजों ...