Thursday 7 April 2016

कविता ६०७. दिन का असर

                                                  दिन का असर
दिन का असर अक्सर अहम नजर आता है जो जीवन को अलग राह दिखाता है दिन के अंदर जीवन के असर अलग नजर आते है
हम कई बार जीवन को हम समझ लेना चाहते है दिन के भीतर ही एहसास होते है जो दिशाए बदलकर रख देते है
दिन के रोशनी को समझकर ही हम जीवन कि दिशाए परख लेना चाहते है दिन मे अलग अलग सोच को समझकर हम आगे जाना चलना चाहते है
दिन को समझकर जीवन मे शांती कि भाषा सीखना चाहते है हम जीवन मे अक्सर दिशाए बदलते चले जाते है उनमे उम्मीदे खो देते है
दिन मे ही तो जीवन कि नई सुबह हम अहम पाते है क्योंकि दिन कि रोशनी मे हम जीवन को समझ लेना हर बार चाहते है
दिन मे ही जिन्दगी के हर पल जिन्दा रहते है दिन के कई रंग ही तो जीवन को मतलब और समझ देकर आगे अक्सर बढ जाते है
दिन के हर पल मे हम जिन्दा रहना चाहते है दिन के हर मौके को हम जी लेना चाहते है दिन को हर कोने मे हम समझ लेना हर मोड पर  चाहते है
दिन मे दुनिया के कई मौके होते है जो जीवन को जिन्दा रखकर आगे जाना चलना चाहते है पर फिर भी दिन के कई हिस्से रात कि सपनों मे हम भुल जाते है
दिन को हर पल मे हम परख कहाँ हर बार पाते है जीवन को कभी कभी हम यादों के जाल मे ही तो जीवन के अफसाने दिख जाते है
दिन को समझ लेने कि हर मोड पर हमे अलग जरुरत नजर आती है जो हर पल हमारी दुनिया बदलकर जाती है 

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