Sunday 3 April 2016

कविता ५९८. अलग अलग पेहलू

                                                   अलग अलग पेहलू
हर बात को अलग अलग पेहलू से समझ लेते है हम हर मोड पर उन्हे समझ लेते है तो ही हमारी दुनिया रोशन हो पाती है
जीवन कि राह कई पेहलू से ही तो आगे बढती है जिसमे जीवन कि बात फिर से समझ लेनी पडती है जिसमे नई शुरुआत होती है
कई पेहलूओं से ही दुनिया आगे बढती है उन्हे समझकर आगे चलने से ही जीवन कि धारा समझ मे आ पाती है जीवन को मतलब दे जाती है
हर पेहलू मे जीवन कि दास्तान छुपी रहती है कई बार उसे अलग तरीकों से समझ लेने कि जरुरत बार बार पडती है
हर पेहलू को समझकर जीवन को मतलब दे जाने कि जरुरत जीवन मे कई बार पडती है जिसे समझकर आगे बढने कि जरुरत होती है
कई पेहलूओं से कहानी के रुप बदलते रहते है हर पेहलू को समझकर जीवन मे जिन्दा रहने कि जरुरत हर बार और हर मोड पर होती ही है
जीवन कि दास्तान पेहलूओं से ही बनती है जिसे समझकर आगे जाये तो दुनिया हमे बदल देती है जीवन कि दिशाए हर बार बदलती है
जीवन मे पेहलू ही तो हमे रोशनी दे जाते है वह हमारी किस्मत बनाकर हर बार आगे बढते है जो जीवन को मतलब हर मोड पर देकर जाते है
पेहलू को समझ लेना जरुरी होता है उस पेहलू के अंदर जीवन कि कहानी छुपी रहती है जो जीवन को मतलब दे जाती है नई राह बनाती है
पेहलूओं को जोडने कि जरुरत हर बार होती है हर पेहलू से ही तो जीवन कि दास्तान बनती है जो जीवन को कई बार रोशनी देकर आगे ले जाती है
पेहलूओं मे ही जीवन कि ताकद हर बार हमे उम्मीदे दे जाती है तो हर पेहलू को बार बार समझ लेने से ही दुनिया मतलब देकर जाती है

No comments:

Post a Comment

कविता. ५१५३. इशारों को अफसानों संग।

                             इशारों को अफसानों संग। इशारों को अफसानों संग आस तलाश दिलाती है लहरों की आवाज पुकार सुनाती है तरानों को उम्मीदों...