Monday 11 April 2016

कविता ६१४. हर बूँद को समझकर

                                                 हर बूँद को समझकर
हर बूँद को समझकर परखकर ही तो दुनिया अपना रंग दिखाती है जो बस ना रुको एक बूँद पर क्योंकि वह अक्सर काफी नही होती है
बूँद के अंदर कि कहानी हर बार पता करने कि जरुरत होती है जीवन मे हर बार कोई ना कोई कहानी बूँद दिखाती ही है
जिसे समझकर परख जाने कि जरुरत हर मौके पर होती ही है बूँद के अंदर लिखी कहानी जीवन को बदलकर रखती है
क्योंकि हर बूँद कोई अलग कहानी सुनाती है जो जीवन मे हर बूँद को मतलब देती है पर उस मतलब को परख लेना क्योंकि उस मे ही जीवन कि कहानी छुपी रहती है
बूँद हमे अलग मकसद दे जाती है उस बूँद के अंदर कि ताकद हर बार सुहानी लगती है बूँदों मे जीवन कि अलग निशानी बनती है
बूँद के अंदर कई मतलब होते है उन बूँदों को समझकर आगे जाने कि जरुरत हर बार होती है बूँद जीवन को ताकद देती है
बूँद मे पर कहाँ हर बार एक से मतलब होते है बूँद तो दुनिया को बदलकर रखती है जीवन कि कहानी हमे अलग ढंग से समझ लेनी होती है
बूँद हमे जो तरह तरह के दिशाए दिखाकर माटी मे छुप जाती है वही बूँद पेड बनाने कि ताकद जीवन मे हर बार रखती है
बूँद के अंदर जीवन कि कहानी रंग बदल पाती है जिसे समझकर जीवन कि कहानी बदलकर आगे चलती है पर बूँद को समझ लेना कभी मुमकिन बात होती नही है
बूँद को समझ लेते है तो हर बार अलग कहानी बनने लगती है पर बूँद कहाँ कभी हमारी पकड मे आती है तो दुनिया कुछ भी कह दे जिन्दगी समझ लेना मुश्किल बात होती है

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