Tuesday 12 April 2016

कविता ६१७. सोच को बदलना

                                                        सोच को बदलना
किसी सोच को बदलने मे लोग कहते है अक्सर वक्त लग जाता है पर गलत बात को अपना लेना क्यूँ इतना आसान नजर आता है दुनिया बदल जाती है
किसी सोच का कोई पेहलू जीवन कि दिशाए कुछ अलग दिखाता है जिसे समझ लेते है हम उस सोच कोई गलत बात हो तो फिर दिल उसे क्यूँ छुपाना चाहता है
हर सोच के कोनों मे जीवन का एहसास अलगसा दिखता है उस सोच को जिन्दा करने कि जगह जो जीवन हर पल रोशनी कि लकिरे देती है वह अंधियारा देकर जाता है
जीवन को हर बाजी मे सही और गलत का फैसला करना होता है पर गलत अगर अपने सोच मे हो तो उसे अपनाने से दिल जाने क्यूँ कतराता है
सोच को परख लेने कि जीवन मे कोई अलग पुकार रखता है जीवन को समझकर जाता है जीवन मे ही तो कई किसम कि सोच ताकद वह रखता है
सोच को अलग अलग तरीके से समझ लेना दिल हर पल चाहता है सोच कि ताकद को अपनाकर आगे बढना दिल हर पल चाहता है
पर उस सोच मे कोई गलती हो तो उसे समझ लेना जाने क्यूँ दिल नही चाहता है सोच के किनारे बदल लेना दिल हर पल जरुरी पाता है
क्योंकि सोच के अंदर छुपी बाते हर बार आसानी से सही नही लगती है हर दिशा तो बदलती है पर कभी कभी गलत बाते भी सही लगने लगती है
जाने क्यूँ अपनी सोच को गलत करने मे हमे कई बार इतनी तकलीफ नही होती है तो सही करने मे जाने क्यूँ हमे तकलीफ होती है
जीवन मे सोच को परख लेने मे ही तो दुनिया कि सही दिशाए होती है जीवन कि सही सोच अपनाने मे जितनी कोशिश कर ले वह कम नही होती है  ाााा
जीवन मे हर मोड पर हर पल अपनी दिशाए बदलती है जब मन मे कोई बात एहसास बदलकर जाती है जो जीवन मे अक्सर प्यारी लगती है

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