Friday 15 April 2016

कविता ६२३. सीधी बात को कहना

                                                सीधी बात को कहना
जब किसी बात को सीधा कहना चाहे एहसास बस यही होता है कि बात को परख हम आगे जाना चाहते है पर हर सीधी बात कभी कभी दिल को चोट देती है
पर फिर भी हम जीवन मे उसे दोहराना चाहते है जीवन को हर रंग मे परखकर संभाल लेना चाहते है उसे परख के जीवन मे हम जीना चाहते है
सीधी बात को तेढी बनाकर हम समझ लेते है हम उसे हर पल परखकर जीना चाहते है समझ लेना हर बार हर मोड पर चाहते है
सीधी बाते सीधी नही लगती उन्हे हम अलग ढंग से परख लेना जरुरी समझ लेते है हर जीवन के हर एक संगीत को संभलकर जीना चाहते है
पर हम जीने दे उतनी आसान दुनिया हम कहाँ पाते है उस दुनिया को जिसमे कई रंग हो हम जीवन मे सीधी राह से ही हम जीना चाहते है
पर सीधी बाते तो अक्सर काटों कि तरह चुभसी जाती है पर फिर भी हम उन्हे हम हर पल जीवन मे समय समय पर जी लेना चाहते है
बात सीधे से हम कह दे उसके अंदर के दर्द को हम पकड कर बदलना चाहते है हम जीवन मे हर पल पर खुशियाँ ही तो चाहते है
पर अक्सर लोगों को सच्चाई लुभा नही पाती है हम इसीलिए कभी कभी किसी झूठ के सहारे बचना भी चाहते है हम उम्मीदे मुश्किल से जीवन मे रख पाते है
पर हमने तो देखा है जीवन मे हम कहाँ सीधी राह चल पाते है बडे मुश्किल से जीवन को समझकर परख लेना सीख जाते है
कभी कभी सीधी बात के अंदर हम जीवन को कई अलग रुप मे पाते है कितना झूठ हम कह दे लेकिन आखिर सच्ची बात को हम अपने सामने ही पाते है
अक्सर यही सोचते है कि शुरुआत मे ही जाने क्यूँ हर बार हम झूठ बोलते रहते है आखिर हम जीवन मे सच्चाई को परख लेते है

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