Monday 11 April 2016

कविता ६१५. बात को सुनना

                                            बात को सुनना
जब हम सुनना चाहते है तो हर चीज बात कर पाती है हम जीवन मे जीना चाहते है तो हर हालात से जिन्दगी लढ जाती है
चीजे कई किसम कि जीवन मे कई तरीकों से आती है अगर हम सुनना चाहते है तो हर रात के अँधियारे मे चाँद कि रोशनी काफी नजर आती है
जीवन मे अगर हम चाहे तो जीवन कि सोच आगे ले जाती है हम चाहते है तो ही जीवन कि दिशाए नजर हमे आसानी से आती है
जब जीवन मे किसी बात को समझ लेते है तो जीवन कि दिशाए बदल जाती है जिसे समझकर आगे ले जाना चाहते है उस बात मे सोच अलग नजर आती है
जीवन कि पूँजी दिशाए बदल जाती है पर हम जब समझे सही दिशा को उसमे जिन्दगी कि कहानी अलग मोड देकर चलती नजर आती है
जीवन को कैसे हम समझे उसमे अलग कहानी नजर आती है हर बात को हर पल समझ लेते है तो दुनिया अलग एहसास देकर जाती है
हर चीज मे जीवन कि कहानी छुपी होती है जो कभी ना कभी तो सुलझ ही जाती है जो बताती है हमे वह जीवन कि कहानी जो अलग हर मोड पर नजर आती है
बात सुनने कि ही हमे जरुरत होती है क्योंकि बात को सुन लेते है तो दुनिया कि कई उलझने अपने आप ही सुलझ जाती है जो जीवन को मतलब दे पाती है
पर हमे अपनी ही कहने से फुरसत कहाँ होती है जो हमे दूसरे कि बात समझ पाती हम तो बस उसकी ही सुनते है जिसकी बात हमे पसंद आती है
पर जीवन कि कहानी ऐसे नही चल पाती है दूसरे कि सुनने कि जरुरत तो होती ही है पर काश दुनिया मे हर किसी को यह बात समझ पाती  ा

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