Saturday 2 April 2016

कविता ५९७. जीवन के किरदार

                                                 जीवन के किरदार
किसी बात से जीवन कि कहानी अलग लगने लगती है उस बात से जीवन कि निशानी अलग बनकर आगे बढती है
जीवन कि कहानी को समझ लेने कि जरुरत हर मोड पर होती है पर उस कहानीको कैसे समझे जिसे परखकर आगे बढने कि जरुरत अक्सर होती है
कहानी को समझ लेने कि जरुरत हर मोड पर होती ही है जिस कहानी को परख लेते है उसे जीने कि चाहत तो होती ही है
हर कहानी मे कई लोग आते जाते रहते है उन्हे समझकर आगे जाने कि जरुरत जीवन कि हर दिशा मे लगती है
कहानी तो कई तरीके से कई बातों मे बनती है कहानी को परखकर आगे जाने कि जीवन को जरुरत हर दिशा मे होती ही है
कहानी के किरदारों से ही तो हमारी दुनिया बनती है पर सच तो यह है कि सबकुछ सही लगता है जब तक कहानी मतलब देती है
कहानी के अंदर जीवन कि निशानी हर बार बनती है जो जीवन को रोशनी देकर आगे बढने कि जरुरत हर बार होती ही है
कहानी कि हर बात जीवन पर एहसास अलग देकर जाती है उन किरदारों से ही हमारी दुनिया हर बार उजागर होती है
पर कई बार उन किरदारों से दूर रहने मे ही अपनी भलाई दिखती है पर यह मुमकिन तभी होता है जब दुनिया अपना रंग बदलती है
क्योंकि अगर दुनिया उन किरदारों के रंगों मे रंग जाये तो उन किरदारों को सह लेने कि जरुरत पडती है जो हम पर असर करती है

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