Wednesday 23 March 2016

कविता ५७६. बिघडती बाते

                                                        बिघडती बाते
बिघडती बाते तो जीवन कि दिशाए बदलती जाती है जिन्हे समझ लेने कि जरुरत हर बार जीवन मे होती ही है चीजे बिघडती रहती है
बिघडती बाते ही तो हर मोड और हर पल बदलती है जीवन को अलग समझ देकर जाती है पर हर बार वह बात सीधी नही होती है
बातों कि गलत राह भी जीवन कि सौगाद दे जाती है वह भी कई बार जीवन को राह कई देकर आगे बढती है राह को समझ लेने कि जरुरत होती है
राह के किस्मत मे बनना और बिघडना हर बार लिखा होता है पर हर राह तो कुछ ना कुछ जरुर बता के हर बार जाती ही है
राह को समझ लेना जरुरी हो या ना हो पर जीवन मे दिशाए तो वह हर बार देती ही है जीवन कि बाजी हर बार समझ लेनी होती ही है
बिघड भी जाये बात तो वह बात मतलब बदल देती ही है क्योंकि हर बात कि अलग फिदरत होती है उसमे छुपी समझ होती ही है
चीजे तो अक्सर जीवन मे बदलती ही रहती है दिशाए हर मोड पर अलग तरह का एहसास देती है जिन्हे समझ लेने कि हर राह पर जरुरत होती है
जो बात बिघड जाती है उसे परखकर ही अलग बात कि ओर जीवन कि कहानी बढती है जीवन कि कहानी बदल जाती ही है
जो बाते सीधी हो उनमे भी अलग कहानी निकलती है जब वही बाते बिघडकर सामने आ जाती है जीवन कि कहानी बदल जाती है
बिघडी हुई बातों के भी मतलब हर बार अलग निकलते है जिन्हे समझ लेने के बाद जीवन के बदलाव को हर बार हम अक्सर मेहसूस करते है

No comments:

Post a Comment

कविता. ५१२४. बदलाव को लहरों की।

                                बदलाव को लहरों की। बदलाव को लहरों की मुस्कान कोशिश सुनाती है दिशाओं को नजारों संग आहट तराना सुनाती है आवाजों...