Wednesday 2 March 2016

कविता ५३५. हर तलाश को समझ लेना

                                            हर तलाश को समझ लेना
हर तलाश से ही तो कुछ मिल पाता है जीवन हर पल तलाश करने कि जरुरत हर राह पर होती है जो जीवन को आगे ले जाती है
क्योंकि बिना तलाश दुनिया कहाँ मिल पाती है पर कभी कभी कुछ ऐसा लगता है कि मन को पता ही नही हमे किस चीज कि तलाश है
तब तलाश जाने क्यूँ कम नजर आती है जो जीवन का मतलब हर बार बदल कर जाती है पता चलता है तलाश ही शायद अहम चीज नही होती है
तलाश को समझ लेना ही तो जरुरी चीज है बिना समजे तलाश कहाँ अहम नजर आती है जो हमे रोशनी दे जाती है खुशियाँ दे जाती है
जिसे ढूँढते है वही तलाश तो जीवन मे हर बार अहम होती है जो हमे आगे ले कर जाती है जीवन को रोशनी देती है
वह तलाश ही तो जीवन कि साँसे बन जाती है पर अगर वही बिना मतलब कि हो तो जीवन को साथ हर बार दे जाती है
हर तलाश से ही तो दुनिया बनती है पर बिना मतलब कि तलाश से दुनिया मुश्किल मे हर बार पड जाती है हमारी उलझन बढा देती है
तलाश करते समय सही चीज को समझ लेने कि जीवन को जरुरत होती है तलाश से ही तो दुनिया कि शुरुआत होती है
हर तलाश से ही तो हमारी दुनिया बनती है हर तलाश मे ही हमारी दुनिया जिन्दा रहती है तलाश से ही जीवन कि बाजी बनती है
क्योंकि तलाश ही तो जीवन को साँसे दे जाती है वही तो जीवन कि जरुरत होती है जो हमे हर पल साँसे दे कर आगे बढ जाती है

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