Saturday 5 March 2016

कविता ५४०. बिना सोचे कियी बाते

                                           बिना सोचे कियी बाते
कभी कभी कुछ बाते सोच के कि जाती है कभी कभी कुछ बाते बिना सोचे ही जीवन मे हर बार हो जाती है जीवन को चुपके से बदल जाती है
जीवन कुछ ऐसी धारा है जिसमे दोनों बाते कुछ ऐसे जुड जाती है कि उन्हे समझकर अलग करने कि बात मुश्किल नजर आती है
अलग अलग मतलब कि बाते जब हर बार जुड जाती है वह बाते जीवन कि धारा को बदल कर हमारी दुनिया बदल जाती है
जो चीजे अलग होती है उनसे हमारी दुनिया बदलती नजर आती है दोनों बाते जुड कर ही तो हमे जीवन कि नई सोच मिल जाती है
जब जीवन मे किनारे दो अलग होते है उनमे मतलब मिल जाते है कुछ सोच कर कियी हुई बातों से तो कुछ मतलब बिना सोचे ही मिल जाते है
कभी हम सोचे तो जीवन कि नई शुरुआत नजर आती है सोच को परख लेते है तो दुनिया मे दोनों किनारों पर सोच नजर आती है
कुछ बाते बिना कहे ही जीवन मे हो जाती है जो जीवन कि धारा को बदल जाती है जीवन कि दिशाए बदलती रहती है जीवन को अलग मतलब दे जाती है
कोई बात बिना कहे ही जीवन मे हो जाती है जीवन कि धारा को धीमे से बदल कर आगे चलते जाती है क्योंकि हर चीज समझकर जीवन मे नही कियी जाती है
पर जब कोई बात होती है तो उसे समझ लेने कि जरुरत हर बार मेहसूस होती है जो जीवन को अलग मतलब दे जाता है
हर बार बात जो सामने आती है उसे समझ लेने कि जीवन को हर पल जरुरत तो होती ही है जो जीवन को मतलब देती है
जो बाते बिना कहे जीवन मे आती है उन्हे परख कर समझ लेना होता है क्योंकि वह बाते भी अपनी ही तो हर बार होती है

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