Sunday 27 March 2016

कविता ५८४. सोच कि राह

                                                                  सोच कि राह
सोच समज कर राह जो चल दे उसे परख लेने कि जरुरत हर बार होती है जो जीवन को साँसे और एहसास देती रहती है
सोच मे अलग तरह कि कहानी हर बार होती है जिसे समज कर परख लेने कि जरुरत जीवन मे एहसास देती है उजाले दे कर आगे बढती है
सोच को तो दुनिया कि हर राह कभी कभी समज पाती है कभी भूला कर जाती है पर हर बार सोच को परख लेने कि कोशिश तो रहती ही है
सोच को हर लब्ज मे समज कर आगे बढने कि जीवन के हर बार अहमियत होती है जो हमे समज लेती है रोशनी दे कर आगे जाती है
सोच मे कई बाते तो जीवन कि रोशनी बनकर झलक जाती है जिन्हे परख कर आगे बढने कि जरुरत हर मोड पर हर बार होती है
सोच मे जीवन कि ताकद अक्सर छुपी होती है सोच मे जीवन कि हर बार कोई ना कोई प्यास हर बार छुपी रहती है उजाले दे कर जाती है
सोच को समज लेने कि जीवन को हर मोड पर जरुरत तो जीवन को मतलब दे जाती है सोच ही तो जीवन कि कहानी होती है
हर बार सोच कितना भी बदले वह जीवन मे उम्मीदे हर बार दे ही जाती है जो जीवन को समज कर आगे ले कर आती है इसलिए वह अक्सर अहम होती है
सोच को समज लेने कि हर बार हमे जरुरत होती ही है क्योंकि सोच ही हमारी हर पल कि साथी होती है तो चाहे या ना चाहे उसे समज लेने कि जरुरत होती है
सोच ही तो हमारी किस्मत होती ही है तो सोच समज लेने से ही दुनिया कि हकीकत बनती है जो जीवन को हर मोड पर उम्मीदे दे कर आगे ले जाती है
इसलिए सोच के अंदर अलग एहसास को परख लेने कि हर बार कोई ना कोई जरुरत तो होती ही है जो हमे उम्मीदे दे कर आगे बढती जाती है

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