Tuesday 22 March 2016

कविता ५७४. सोच को बदल लेने कि जरुरत

                                       सोच को बदल लेने कि जरुरत
हर सोच को समझ लेना ही तो जीवन कि जरुरत होती है जो जीवन मे रोशनी बन के छुपके से आती है पर मुश्किल बात यह होती है
जो हमे हर बार बताती है जीवन कि धारा सीधी कहाँ जाती है जीवन को तो हर पल हर मोड पर बदलने कि जरुरत होती ही है
हर सोच को परख कर आगे जाने कि जरुरत तो होती ही है जो सही दिशाओं मे ले जाती है जीवन कि हर बात मतलब अलग देती है
मुमकिन तो यह बात है कि जीवन का हादसा हर बार जीवन कि सोच बदलकर दिशा कुछ अलग दिखा के आगे लेकर जाता है
जीवन मे कई रंगों कि रंगोली बनाकर आगे बढकर जाता है जीवन मे अलग एहसास देकर जाता है रोशनी को समझकर हमे समझाता है वह जीवन कि दिशाए बदलकर जाता है
हर राह पर जीवन कि सोच एकसी नही रहती है वह जीवन कि दिशाए बदलती जाती है जीवन कि धारा बदल कर जाती है दिशाए बदल कर आगे बढती है
सोच मे कई रंगों कि बरसात जीवन भर होती ही है जीवन कि कहानी उस पर एक अलग असर करके आगे चलती जाती ही है
सोच के अंदर कई उम्मीदे होती है जो सोच को कई इशारे देकर आगे लेकर जाती है जो हमारी सच्ची ताकद होती है पर वह कई बार कमजोर हो जाती है
सोच मे ही जीवन कि लकिर छुपी रहती है जो जीवन को अलग दिशाओं कि उम्मीदे देकर आगे ले कर जाती है रोशनी बन जाती है
सोच कई मोड पर बदलती जाती है सोच को समझ लेने कि कई किनारों पर कई किस्सों मे कई तरीकों के अंदर अक्सर जीवन मे हर बार जरुरत होती है

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