Wednesday 2 March 2016

कविता ५३४. दुनिया कि रोशनी

                                         दुनिया कि रोशनी
हर रोशनी के पीछे नई शुरुआत होती है जो जीवन को रोशनी का नया मतलब दे जाती है रोशनी कि जरुरत मन से होती है
जिस तरफ आसमान मे देखो तो हमे हर पल दुनिया कि उम्मीदे बादलों मे भी दिखती है जो हमे उम्मीदे दे जाती है नई सुबह देती है
जीवन मे अलग खयालों से ही तो रोशनी जिन्दा हो पाती है वही हमारे जीवन को नया एहसास दे जाती है किसी कोने मे हर बार क्यूँ ढूँढे रोशनी जीवन के हर कतरे मे होती है
रोशनी कि एक किरन भी जीवन को मतलब देना समझ पाती है पर हमे उसे तलाश कि जरुरत नही होती है वह आसानी से दुनिया मे दिख जाती है
हर मोड पर जीवन कि रोशनी हर बार रहती है जो हमे जीवन कि उम्मीदे दे जाती है जीवन मे हर मोड पर नई शुरुआत होती है
रोशनी मे जीवन कि कहानी हर बार बनती है पर हम तो उस रोशनी को ढूँढते है जो हर बार हमारे सामने ही रहती है जीवन का हिस्सा होती है
रोशनी कि कहानी हर बार जीवन को बदल देती है पर रोशनी तो हर पल जीवन का हिस्सा ही तो होती है जो जीवन पर असर करती है
क्या जरुरत है उसे तलाश ने कि जब जीवन मे शुरुआत नई सुबह और उम्मीदे ही तो देती है हमे उन्हे समझ लेने कि जरुरत हर बार होती है
रोशनी तो वह चीज है जो हवाओं मे ही होती है जो जीवन के हर रंग मे बडी आसानी से जिन्दा रहती है जीवन मे नई खुशबू देती है
रोशनी से दूर रहकर हमारी दुनिया नही होती है हर पल रोशनी हमारी दुनिया का एक ऐसा हिस्सा होती है जो हमे हर पल आगे ले जाता है

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