Tuesday 22 March 2016

कविता ५७५. जीवन कि समझ

                                          जीवन कि समझ
हर धारा को जीवन हर बार बदलकर जाता है कोई साथी बनकर तो कोई दुश्मन बनकर जीवन कि दिशाए बदलकर जाता है
जीवन को समझ लेना और मकसद दे जाना जीवन कि दिशाए बदलकर जाता है जीवन को समझ लेने कि चाहत हर बार रोशनी के किनारे बनकर आगे बढती है
जीवन को कोई अलग तरह कि सोच यादे और रोशनी दिखाकर जाती है जीवन कि कहानी अलग लब्जों मे हर बार लिखी जाती है
जीवन कि परख लेते है तो जीवन मे नई उम्मीदे दे जाती है वही रोशनी जीवन कि सौगाद बनकर उसे आगे ले जाने कि ताकद पाती है
जीवन को मतलब दे जाये तो जीवन कि कहानी अलग नजर आती है जीवन कि धारा को समझकर आगे ले जाने कि जरुरत हर बार हर छोर पर होती है
जीवन कि कहानी अलग अलग किस्सों मे बयान होती है जीवन कि सुबह हमे हर बार उम्मीदों कि राह दिखाकर आगे बढती है
जीवन कि कहानी और धारा जिसे समझ लेने कि चाहत हमे  हर बार आगे ले जाती है या जीवन को मतलब कई किसमके देती है
जीवन को कई तरीकों मे समझ ले यही जीवन कि जरुरत होती है या फिर बिना समझे जी लो क्योंकि बिना समझे भी जिन्दगी कई बार गुजरती है
जीवन मे कई दिशाओं मे दुनिया हमारी दिखती है जीवन कि हर रात और दिन मे किस्मत हमारी बनती और बिघडती है
जीवन के हर मोड और हर पेहलू मे दुनिया अलग दिखती है जीवन को बार बार समझ लेने कि हर राह पर अक्सर जरुरत होती है

No comments:

Post a Comment

कविता. ५१४६. सपनों को एहसासों की।

                               सपनों को एहसासों की। सपनों को एहसासों की कहानी कोशिश दिलाती है लहरों को इशारों की समझ सरगम सुनाती है उम्मीदों...