Wednesday 23 March 2016

कविता ५७७. करीब से देख लेना

                                                 करीब से देख लेना
करीब से देख लेते है तो सोच अलग एहसास दे जाती है जो जीवन कि धारा को कुछ अलग बताकर दुनिया बदल  जाती है
पर हम जीवन को समझ लेते है तो करीब से दुनिया बहोत अलग नजर आती है हर एहसास को बदलकर आगे चली जाती है
ध्यान से देख लेते है तो दुनिया रंग कई दे जाती है रोशनी कि अहम सौगाद बनकर जिन्दगी को बदलकर जाती है दुनिया अलग बनाती है
पर करीब से देखी हुई हर बात हमे कहाँ समझ आती है जो एहसास दे जाती है वह बात कहाँ जीवन को मकसद दे पाती है
जो करीब से जीवन को समझ लेते है उन्हे समझ हर बार होती है जो जीवन कि कहानी अलग बना के ही हमारी दुनिया बदल देती है
जिस चीज को समझ लेते है उस चीज के अंदर अलग सोच हर बार मतलब देती है सोच के कई किस्सों के संग दुनिया बदलती है
पर बहोत ध्यान से आगे बढने से भी दुनिया खुशियों कि सौगाद नही दे पाती है हमारी खुशियाँ हम से हर मोड पर दूर रह जाती है
कभी कभी जीवन मे ध्यान से चीजे बदल देने से ही दुनिया नई उम्मीदे देती है चीजे तो समझकर ही आगे बढने से ही दुनिया को मतलब देती है
कभी कभी जीवन मे ज्यादा ध्यान देने से भी चीजे बदलती है चीजे ज्यादा ध्यान से आगे बढे तो ही वह दुनिया को मतलब देती है
चीजे बडे ध्यान से जीवन मे करनी होती है पर कभी कभी  आसान चीजे दूर रखकर दुनिया हमे समझ लेनी होती है जो राह सही हो वही चुननी होती है

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