Thursday 18 February 2016

कविता ५०८. हर सुबह का एहसास

                                                              हर सुबह का एहसास
सुबह के अंदर अलग एहसास हर बार होता है सुबह को समझकर ही आगे बढ़ जाना जीवन को मतलब दे जाता है जीवन को समझ लेना सुबह देता है
सुबह की रोशनी के साथ ही तो जीवन का अलग एहसास हर बार सुबह के साथ जीवन बदलता रहता है सुबह के किरणों में ही रोशनी का एहसास देता है
सुबह नई सोच को आगे ले जाने का एहसास जीवन में हर कदम  हर सुबह हर बार नई शुरुआत देता है सुबह में जीवन का अलग एहसास अलग होता है
जीवन में दुनिया हर बार बदलाव तो देती है सुबह को समझ लेना जरुरी हर बार होता है दुनिया के अंदर मतलब हर बार जिन्दा हो जाते है
दुनिया में जीवन के साथ अलग सोच को रखना हर बार जरुरी होता है जीवन ही तो हमारी दुनिया बनाता है जिसे जीना हर बार जरुरी होता है
जीवन में हर बार समझ लेने की कई बाते है जिन्हे समझ लेना जीवन में हर बार जरुरी होता है जीवन को समझ लेना अहम हर बार होता है
दुनिया को परख लेना ही तो हमे आगे ले जाता है पर हर सुबह उसे परखने से ज्यादा कई बार जरुरी अलग काम लगता है
चाहे कुछ समझे या ना समझे सबसे जरुरी इन्तजार हर बार लगता है जिसे समझ ले तो जीवन को सही किसम की शुरुआत देता है
सुबह को जीना ही तो जीवन का एहसास होता है जीवन को कहाँ हम समझ पाते है जब उसे समझ लेना ही हर बार जरूरी होता है
सुबह को परख लेना ही कभी कभी ऐसा लगता है की जीवन को कुछ अनजाना एहसास देता है पूरा जीवन परखा जाता है बिन कोशिश के ही समझ आता है 

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